एकता कायम नहीं रख पाया विपक्ष, कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखी - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 21 मई 2019

एकता कायम नहीं रख पाया विपक्ष, कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखी

एकता कायम नहीं रख पाया विपक्ष, कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखी


कुमारस्वामी के शपथग्रहण की तस्वीर (फाइल)
कुमारस्वामी के शपथग्रहण की तस्वीर (फाइल) - फोटो : Bharat rajneeti
एग्जिट पोल्स के अनुमानों को सही मानें तो विपक्ष के लिए दिल्ली बहुत दूर हो गई है। बीते साल इसी महीने बंगलूरू में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में दिखी एकता के बाद अगर विपक्षी नेताओं ने दिल बड़ा किया होता तो स्थिति ठीक इसके उलट हो सकती थी। खासतौर पर अगर उत्तर प्रदेश के महागठबंधन में कांग्रेस को जगह मिलती और दिल्ली के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने दिल बड़ा किया होता तो, एग्जिट पोल्स की तस्वीरें राजनीति के नए परिदृश्य बयां कर रही होतीं। एग्जिट पोल्स के अनुमान के विश्लेषण से स्पष्ट है कि यूपी में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन में कांग्रेस का नहीं होना, दिल्ली में आप और कांग्रेस तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के टीएमसी से हाथ न मिलाने से भाजपा को जबर्दस्त फायदा मिला। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में यूपी में जहां भाजपा 60 सीटों का आंकड़ा पार कर रही है, वहीं दिल्ली में क्लीन स्वीप तो प. बंगाल में जबर्दस्त प्रदर्शन कर रही है। इन तीनों राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं।

बीते चुनाव में भाजपा को इनमें से 82 सीटें हासिल हुई थीं। एग्जिट पोल्स के अनुमानों के मुताबिक इस बार भी भाजपा इन राज्यों में औसतन इतनी ही सीटों पर जीत हासिल कर रही है। जाहिर तौर पर इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की गठबंधन में भूमिका होती तो भाजपा को तगड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ता।

कर्नाटक प्रयोग से उत्साहित थे गैर-राजग क्षेत्रीय दल
बीते साल मई महीने में कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा को रोकने के लिए जदएस को सीएम पद देकर मास्टर स्ट्रोक चला था। कांग्रेस के इस नरम रुख से गैर-राजग क्षेत्रीय दल उत्साहित थे। क्षत्रपों में कांग्रेस के सहयोग से केंद्र में गैर-राजग सरकार बनने की उम्मीद बंधी थी। मगर बीते साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को मिली जीत ने सारे समीकरण उलट-पुलट कर दिए। कांग्रेस को अपनी अगुवाई में सरकार बनने की उम्मीद बंधी और देखते ही देखते अन्य राज्यों में भाजपा के खिलाफ गठबंधन की संभावना धूमिल हो गई। बसपा-सपा ने यूपी में कांग्रेस से दूरी बनाई, तो बाद में प. बंगाल और दिल्ली में भी टीएमसी-आप के साथ कांग्रेस का चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं पर पलीता लग गया।

अंतिम परिणाम भी ऐसे ही रहे तो बदलेगी एनडीए और यूपीए कुनबों की शक्ल
एग्जिट पोल्स के अनुसार ही परिणाम सामने आए तो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को नए सिरे से विपक्षी एकता बहाल करने के लिए हर हाल में पांच साल लंबा इंतजार करना होगा। इसके इतर सरकार बनने की संभावना के मद्देनजर विपक्ष में फूट की संभावना भी बढ़ेगी। चूंकि कई विपक्षी दल विभिन्न समय में राजग में शामिल रह चुके हैं। ऐसे में पुराने सहयोगी रहे दल अगर फिर से राजग का दामन थाम लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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