एकता कायम नहीं रख पाया विपक्ष, कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखी
![एकता कायम नहीं रख पाया विपक्ष, कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखी कुमारस्वामी के शपथग्रहण की तस्वीर (फाइल)](https://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2019/05/21/750x506/il_1558388101.jpeg)
बीते चुनाव में भाजपा को इनमें से 82 सीटें हासिल हुई थीं। एग्जिट पोल्स के अनुमानों के मुताबिक इस बार भी भाजपा इन राज्यों में औसतन इतनी ही सीटों पर जीत हासिल कर रही है। जाहिर तौर पर इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की गठबंधन में भूमिका होती तो भाजपा को तगड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ता।
कर्नाटक प्रयोग से उत्साहित थे गैर-राजग क्षेत्रीय दल
बीते साल मई महीने में कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा को रोकने के लिए जदएस को सीएम पद देकर मास्टर स्ट्रोक चला था। कांग्रेस के इस नरम रुख से गैर-राजग क्षेत्रीय दल उत्साहित थे। क्षत्रपों में कांग्रेस के सहयोग से केंद्र में गैर-राजग सरकार बनने की उम्मीद बंधी थी। मगर बीते साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को मिली जीत ने सारे समीकरण उलट-पुलट कर दिए। कांग्रेस को अपनी अगुवाई में सरकार बनने की उम्मीद बंधी और देखते ही देखते अन्य राज्यों में भाजपा के खिलाफ गठबंधन की संभावना धूमिल हो गई। बसपा-सपा ने यूपी में कांग्रेस से दूरी बनाई, तो बाद में प. बंगाल और दिल्ली में भी टीएमसी-आप के साथ कांग्रेस का चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं पर पलीता लग गया।
अंतिम परिणाम भी ऐसे ही रहे तो बदलेगी एनडीए और यूपीए कुनबों की शक्ल
एग्जिट पोल्स के अनुसार ही परिणाम सामने आए तो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को नए सिरे से विपक्षी एकता बहाल करने के लिए हर हाल में पांच साल लंबा इंतजार करना होगा। इसके इतर सरकार बनने की संभावना के मद्देनजर विपक्ष में फूट की संभावना भी बढ़ेगी। चूंकि कई विपक्षी दल विभिन्न समय में राजग में शामिल रह चुके हैं। ऐसे में पुराने सहयोगी रहे दल अगर फिर से राजग का दामन थाम लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।