45 एचआईवी पॉजिटिव बच्चों के 'अप्पा' बने सोलोमन राज, पेश की मानवता की मिसाल
सोलोमन राज ने 45 बच्चों को गोद लिया है - फोटो : bharat rajneeti
तमिलनाडु के चेन्नई के रहने वाले सोलोमन राज ने 45 एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को गोद लेकर यह साबित कर दिया है कि अभी भी कुछ अच्छे लोग इस दुनिया में हैं। जिन बच्चों की तरफ उन्होंने मदद का हाथ बढ़ाया है उन्हें उनके परिवार ने छोड़ दिया था। यह बच्चे 'शेल्टर ट्रस्ट' में रहते हैं और उन्हें 'अप्पा' (पापा) कहकर बुलाते हैं। उनका दावा है कि अच्छा काम उन्हें संतुष्टी देता है खासतौर से तब जब यह बच्चे उन्हें 'अप्पा' कहकर बुलाते हैं।
शेल्टर होम में जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, क्राफ्ट प्रशिक्षण, कला, डांस और कंप्यूटर शिक्षा आदि सहित सभी सुविधाएं दी जाती हैं। उन्होंने कहा, 'यह सभी बच्चे किसी और की गलती के दोषी हैं। मैं 45 बच्चों का 'अप्पा' बन गया हूं। इन सभी बच्चों की जरूरतों को पूरा करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।' बहुत से बच्चे नौंवी और ग्याहरवीं की पढ़ाई कर रहे हैं और इनमें से सात विभिन्न संकाय (स्ट्रीम) से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।
सोलोमन का कहना है कि उन्हें एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की मदद करने की प्रेरणा इसलिए मिली क्योंकि शादी के आठ साल बाद भी उनका कोई बच्चा नहीं है और वह जरूरतमंद एचआईवी पॉजिटिव बच्चे को गोद लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'जब हम बच्चा गोद लेने की योजना बना रहे थे तो हमारा अपना बच्चा हो गया और बच्चे को गोद लेने के विचार पर कुछ समय के लिए विराम लग गया। हालांकि एचआईवी पॉजिटिव बच्चे को गोद न ले पाने के विचार ने मुझे कसूरवार महसूस करवाया। इसलिए मैंने पहला एचआईवी पॉजिटिव बच्चा गोद लिया और यह सिलसिला जारी है।'
उन्होंने कहा, 'कुछ आर्थिक परेशानियां हैं क्योंकि इन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर खर्च होता है। इन बच्चों को स्वास्थ्य समस्याएं हैं और कई बार इनकी स्थिति गंभीर हो जाती है।' नौंवी में पढ़ रही एचआईवी पॉजिटिव लड़की डॉक्टर बनकर लोगों की मदद करना चाहती है। उसने कहा, 'मैं यहां 2016 में आई थी। मैं डॉक्टर बनकर दूसरे बच्चों की मदद करना चाहती हूं। एचआईवी पॉजिटिव सामान्य बच्चों से किसी तरह कम नहीं होते हैं।'