Haryana Assembly में खाली हो गईं पांच सीटें, पर नहीं होंगे उपचुनाव, सरकार इच्छुक भी नहीं
हरियाणा विधानसभा
हरियाणा विधानसभा में आगामी मानसून सत्र के दौरान विधायकों की पांच कुर्सियां खाली ही रहेंगी, क्योंकि चार विधायक इस्तीफे दे चुके हैं, एक का निधन हो चुका है। खाली हुई इन सीटों पर उपचुनाव की संभावनाएं कम है। जबकि सरकार भी इन सीटों पर उपचुनाव करवाने की इच्छुक नहीं है। हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इनमें से चार विधायक अपना पद छोड़ चुके हैं। इनमें फतेहाबाद के विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, नलवा के विधायक रणबीर सिंह गंगवा, हथीन के विधायक केहर सिंह रावत, नारायणगढ़ के विधायक नायब सैनी शामिल हैं।
जबकि पेहवा के विधायक जसविंद्र संधू का इस साल 19 जनवरी को निधन हो गया था। पद से इस्तीफा देने वाले विधायकों में बलवान सिंह दौलतपुरिया, रणबीर सिंह गंगवा और केहर सिंह रावत ने तो अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) छोड़कर भाजपा में शामिल होने की वजह से अपने पद छोड़ा है। यदि वे ऐसा न करते तो विधायक रहते हुए दलबदल एक्ट के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता पर कार्रवाई की तलवार लटकी रहती। इससे बचने के लिए उन्होंने अपना पद छोड़ना मुनासिब समझा।उधर, नारायणगढ़ के विधायक नायब सैनी ने इस लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र सीट से बतौर भाजपा प्रत्याशी चुनाव लड़ा और विजयी प्राप्त की। जिसके चलते विधायक नायब सैनी अब सांसद बन चुकेहैं। सांसद पद की शपथ लेते ही उन्हें विधायक पद छोड़ना जरूरी था। इनके अलावा पेहवा सीट से इनेलो के सीनियर विधायक जसविंद्र सिंह संधू का इसी साल जनवरी में निधन हो गया था। इसके बाद पेहवा सीट भी खाली हो गई है। इन खाली सीटों पर उपचुनाव की अटकलें तो चल रही थीं, लेकिन चूंकि अब हरियाणा के विधानसभा चुनाव को ही चार माह बचे हैं, इसलिए सरकार भी अब उपचुनाव नहीं चाहती है। सूबे में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में प्रस्तावित है।
अपने विजयी रथ को आगे बढ़ाना चाहती है सरकार
विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सूबे में भाजपा का विजयी रथ भी आगे बढ़ रहा है, ऐसी स्थिति प्रदेश सरकार भी नहीं चाहती कि अब किसी प्रकार से उपचुनाव का माहौल बने। पिछले साल मनोहर लाल सरकार ने अपनी सरकार के चौथे बरस में पांच नगर निगमों में मेयर के सीधे चुनाव करवाए और शानदार जीत हासिल की।
उसके बाद इसी साल जनवरी में जींद सीट पर इनेलो विधायक हरिचंद मिड्डा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी भाजपा जीती। इसी साल मई में भी दस लोकसभा सीटों पर भी अपना परचम लहराते हुए भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इन सभी जीत से मनोहर सरकार पूरी तरह उत्साहित है और अब निशाना ‘मिशन 70 प्लस’ पर है। लिहाजा सरकार ने पूरा फोकस विधानसभा चुनाव पर कर रखा है, इसलिए सरकार भी उपचुनाव से दूर ही रहना चाहती है।
पार्टी छोड़ी, मगर नसीम अब भी विधायक
दूसरी ओर, फिरोजपुर झिरका सीट से इनेलो के विधायक नसीम अहमद भी अब अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेसी हो चुके हैं। नसीम ने दल तो बदल लिया है, लेकिन अभी उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को नहीं सौंपा है। लिहाजा नसीम अब भी विधायक हैं।