पाकिस्तानी के नाम कर दी तहसीलदार ने 900 करोड़ की शत्रु संपत्ति, जांच में चौंकाने वाला खुलासा
सांकेतिक तस्वीर :bharat rajneeti
आजादी के वक्त हिंदुस्तान छोड़ लाहौर जा चुके शख्स की शत्रु संपत्ति पर अधिकारियों की मिलीभगत से स्थानीय लोगों काबिज रहे। तहसीलदार ने सारे प्रकरण को जानते हुए उसी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति दर्ज कर दी जो भारत छोड़ पाकिस्तान जा चुका है।
मामले में जांच हुई तो पता चला कि मोदीनगर की सिकरी में करीब 900 करोड़ की संपत्ति है, जो तहसीलदार की वजह से अभी तक सरकार में निहित नहीं हो सकी। अब डीएम ने करीब 500 एकड़ जमीन को सरकार में निहित करने के लिए मुंबई स्थित कस्टोडियन को पत्र लिख दिया है। उधर, तहसीलदार के खिलाफ शासन से विभागीय कार्रवाई की सिफारिश कर दी है। बीते वर्ष डीएम को शिकायत प्राप्त हुई थी कि सिकरी में रोड किनारे कई सौ करोड़ रुपये की जमीन पर स्थानीय लोगों का कब्जा है। जमीन आजादी के वक्त पाकिस्तान जा चुके एक व्यक्ति के नाम पर थी, जो नियमानुसार उसके पर सरकार को मिलनी चाहिए थी।
शिकायत पर अगस्त 2018 में डीएम ने तत्कालीन एसडीएम से मामले की जांच कराई तो पता चला कि आजादी से पहले संपत्ति एक मुस्लिम के नाम पर दर्ज थी। जांच में समाने आया कि तहसीलदार ने जुलाई 2018 में जमीन को रिकार्ड में उसी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति दर्ज कर दी जो पाकिस्तान जा चुका था।
प्रशासन को मामले में घालमेल नजर आया तो डीएम ने दो एडीएम की नई कमेटी गठित कर दी, जिसने मामले की विस्तृत जांच की। पूरा रिकार्ड देखा गया और स्थानीय लोगों से भी पूछताछ की गई तो पता चला कि जिस व्यक्ति के नाम पर संपत्ति दर्ज दिखाई जा रही है वो भारत छोड़कर जा चुका है। इस स्थिति में सारी संपत्ति शत्रु संपत्ति है, जिस पर सिर्फ सरकार का अधिकार है।
जांच रिपोर्ट में तहसीलदार की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया। रिपोर्ट में कहा गया कि तहसीलदार जानते थे कि जमीन शत्रु संपत्ति है, लेकिन फिर भी किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुंचने के लिए मामले को मोड़ने की कोशिश की। सब कुछ जानते हुए दोबारा से देश छोड़कर जा चुके व्यक्ति के नाम संपत्ति दर्ज कर दी गई।
हैरत की बात यह है कि जुलाई 2018 में तहसीलदार ने पाकिस्तान जा चुके व्यक्ति के नाम पर संपत्ति रिकार्ड में दर्ज की और फिर जांच बैठने के एक महीने बाद ही मामले में स्टे भी कर दिया और जनवरी 2019 में उस व्यक्ति का नाम संपत्ति से हटा भी दिया।
अब प्रशासन के सामने कब्जा मुक्त कराने की चुनौती
प्रशासन ने जिस जमीन को शत्रु संपत्ति माना है उस पर वर्तमान में दूसरे लोगों का कब्जा है। अब जैसे ही मुंबई से जमीन सरकार में निहित करने की स्वीकृति मिलती है तो प्रशासन के सामने अगली चुनौती जमीन पर कब्जा लेने की रहेगी।
बताया जा रहा है कि जमीन काफी उपयोगी है, जिसका इस्तेमाल भविष्य में बेहतर उपयोग के लिए किया जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि स्वीकृति मिलते ही जमीन खाली कराने का काम हमारा है। उसको लेकर भी पूरी तैयारी कर ली गई है।
जांच में करीब 900 करोड़ की शत्रु संपत्ति का पता चलता है, जिसको सरकार में निहित करने के लिए पत्र लिखा है। मोदीनगर तहसीलदार जानते थे लेकिन फिर भी लगातार गुमराह करने की कोशिश की। इसलिए उनके खिलाफ भी शासन से विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है।