बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय नौसेना ने 21 दिनों तक की थी पाकिस्तानी पनडुब्बी की तलाश Bharat Rajneeti

पीएनएस साद में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन लगा होता है। जो कि एक ऐसी तकनीक है जिससे पनडुब्बी आम पनडुब्बी के मुकाबले अधिक समय तक पानी में रह सकती है। इस पनडुब्बी की तलाश के लिए पूरी भारतीय नौसेना जुट गई थी।
सूत्र ने बताया, "कराची के पास का स्थान जहां से पीएनएस साद गायब हुई, वहां से वह तीन दिनों में गुजरात तट और पांच दिनों के भीतर मुंबई में पश्चिमी बेड़े के मुख्यालय तक पहुंच सकती है। जिससे देश की सुरक्षा के लिए काफी बड़ा खतरा दिख रहा था।" पनडुब्बी रोधी विशेष युद्धपोत और विमान लापता पाकिस्तानी पनडुब्बी की तलाश में मदद लिए तैनात किए गए।
वो सभी क्षेत्र जहां इस समयसीमा के भीतर पनडुब्बी जा सकती थी, वहां भारतीय नौसेना ने व्यापक तलाश की। पी-8आईएस को महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के बाद गुजरात के तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बी का पता लगाने के लिए सेवा में लगाया गया था। नौसेना द्वारा सभी एहतियाती उपाय किए गए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीएनएस साद भारतीय जल में भले ही प्रवेश कर गई हो, लेकिन उसे सतय पर आने के लिए बाध्य किया जा सके।"
परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्रा को भी पाकिस्तानी जलीय क्षेत्र के पास तैनात किया गया था। और लापता पाकिस्तानी पनडुब्बी की तलाश जारी रखने के निर्देश दिए गए। भारतीय नौसेना की नवीनतम आईएनएस कलवारी पनडुब्बी को भी तलाश के लिए तैनात किया गया था। बाद में खोज का ये दायरा और बढ़ाया गया। सेना ये समझ चुकी थी कि पाकिस्तान ने पनडुब्बी को कहीं और छिपाकर रखा हुआ है।
करीब 21 दिनों तक चली तलाश के बाद भारतीय सेना को पता चला कि पीएनएस साद पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से में है। इसे वहां छुपने के लिए भेजा गया था। सूत्रों का कहना है कि नौसेना ने अरब सागर, विशेष रूप से पाकिस्तानी जल की पूरी निगरानी की, और इस क्षेत्र में पाकिस्तान की नौसैनिक गतिविधियों पर भी नजर रखी। तनाव बढ़ने पर नौसेना ने 60 से अधिक युद्धपोतों को तैनात किया था, जिसमें विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी शामिल था।