मोदी कैबिनेट 2.0 में केवल एक मंत्री पद, जदयू के बाद अब शिवसेना भी भाजपा से हुई नाराज
Narendra modi, Amit shah and Uddhav Thakre(File Photo) - फोटो : bharat rajneeti
प्रचंड बहुमत के साथ जीती भाजपा की अगुवाई में तय हुई 'मोदी कैबिनेट' के शपथग्रहण से पहले अचानक जदयू ने केंद्र सरकार में शामिल होने से किनारा कर लिया था। कारण- गठबंधन में सहयोगी पार्टियों के लिए कैबिनेट का फॉर्मूला। इसके तहत सहयोगी पार्टियों को केवल एक मंत्रालय दिया जाना तय था। इस फॉर्मूले से नाराज होने वाली एनडीए की सहयोगी पार्टियों में जदयू के बाद दूसरा नाम 'शिवसेना' का है।
कैबिनेट में केवल एक मंत्रालय मिलने के कारण शिवसेना, भाजपा से नाराज बताई जा रही है। दो या तीन मंत्रालय की उम्मीद कर रही शिवसेना को केवल एक मंत्रालय मिला और मिला भी तो कम महत्व वाला। पिछली सरकार में शिवसेना से अनंत गीते कैबिनेट में शामिल थे, लेकिन इस बार वह चुनाव हार गए। इस बार मुंबई दक्षिण से सांसद अरविंद सावंत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। विभागों के बंटवारे के बाद उन्हें भारी उद्योग मंत्रालय मिला।
बताया जा रहा है कि इसी बात को लेकर शिवसेना ने इशारों में भाजपा से नाराजगी भी जाहिर की है। स्थानीय खबरों के अनुसार, शिवसेना की नाराजगी इस बात को लेकर है कि भाजपा ने अपनी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी को तवज्जो नहीं दिया। शिवसेना संचार, स्वास्थ्य या रेलवे जैसे किसी अहम मंत्रालय की भी उम्मीद कर रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मीडिया से बातचीत करते हुए शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि विभागों का बंटवारा प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, ऐसे में हमने कोई मांग नहीं रखी थी। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे दिल्ली में थे और वह इस बारे में जानते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में संदेश भेजा गया है।
21 साल में पांचवीं बार यही मंत्रालय
उद्धव ठाकरे- नरेंद्र मोदी(File Photo) : bharat rajneeti
शिवसेना को पिछले 21 साल में पांचवीं बार भारी उद्योग मंत्रालय मिला है। सबसे पहले बालासाहेब विखे पाटिल को साल 1998 में यह मंत्रालय मिला था। फिर 1999 में मनोहर जोशी को 2004 में सुबोध मोहिते को और 2014 में अनंत गीते को भारी उद्योग मंत्री ही बनाया गया। अनंत गीते इस बार के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के सुनील तटकरे से हार गए। इसके बाद सावंत को जगह दी गई।