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मंगलवार, 18 जून 2019

सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस-आईपीएस कैडर आवंटन नीति पर केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस-आईपीएस कैडर आवंटन नीति पर केंद्र से मांगा जवाब

Supreme Court
Supreme Court : bharat rajneeti
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दो दर्जन से अधिक 2018 बैच के प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की याचिकाओं पर केंद्र सरकार से कैडर आवंटन नीति-2017 पर जवाब तलब किया है। इन लोगों ने याचिकाओं में अपने 20 सहयोगियों की भांति सरकार की कैडर आवंटन स्कीम में समानता की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को अपने एक फैसले में 2018 बैच के 20 प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएम अधिकारियों को राहत देते हुए उनकी प्राथमिकता के अनुसार कैडर देने का आदेश दिया था। साथ ही इन लोगों को समायोजित करने के लिए राज्य कैडर में एक-एक सीट की बढ़ोतरी को कहा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह आदेश एक अपवाद है और इसे नजीर नहीं समझा जाना चाहिए। इस आदेश के बाद अब 2018 बैच के प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने दो समूह में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

20 प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसने 2018 बैच के आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के कैडर आवंटन को रद्द कर दिया था और पूरी प्रक्रिया को फिर से पूरी करने के लिए कहा था। पांच अधिकारियों के दूसरे समूह ने नई रिट याचिका दाखिल कर अपने 20 सहयोगियों की तरह कैडर आवंटन की मांग की है। कई अन्य प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इन दो याचिकाओं के साथ खुद संबद्ध कर राहत मांगी है। 

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्य कांत की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वे प्रथम दृष्टया हाईकोर्ट की राय से सहमत नहीं है। यह हमारा प्रारंभिक दृष्टिकोण है और सरकार को भी इस तरह इसे मानना नहीं चाहिए। पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी को इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने को कहा। इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद नियमित पीठ के सामने होगी।

 दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील संजय हेगड़े और शशांक रत्नू ने कहा कि सरकार केवल चुनिंदा प्रशिक्षु अधिकारियों को ही राहत नहीं पहुंचा सकती है। वहीं अपने सहयोगी की तरह समानता की मांग करने वाले समूह की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इन प्रशिक्षु अधिकारियों के समान अधिकार है और इन्हें भी अपनी प्राथमिकता के अनुसार कैडर चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए। 

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