सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस-आईपीएस कैडर आवंटन नीति पर केंद्र से मांगा जवाब

20 प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसने 2018 बैच के आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के कैडर आवंटन को रद्द कर दिया था और पूरी प्रक्रिया को फिर से पूरी करने के लिए कहा था। पांच अधिकारियों के दूसरे समूह ने नई रिट याचिका दाखिल कर अपने 20 सहयोगियों की तरह कैडर आवंटन की मांग की है। कई अन्य प्रशिक्षु आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इन दो याचिकाओं के साथ खुद संबद्ध कर राहत मांगी है।
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्य कांत की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वे प्रथम दृष्टया हाईकोर्ट की राय से सहमत नहीं है। यह हमारा प्रारंभिक दृष्टिकोण है और सरकार को भी इस तरह इसे मानना नहीं चाहिए। पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी को इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने को कहा। इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद नियमित पीठ के सामने होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील संजय हेगड़े और शशांक रत्नू ने कहा कि सरकार केवल चुनिंदा प्रशिक्षु अधिकारियों को ही राहत नहीं पहुंचा सकती है। वहीं अपने सहयोगी की तरह समानता की मांग करने वाले समूह की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इन प्रशिक्षु अधिकारियों के समान अधिकार है और इन्हें भी अपनी प्राथमिकता के अनुसार कैडर चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए।