मुखर्जी नगर हिंसा: 10 पुलिसकर्मी निलंबित, विभागीय जांच शुरू
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मुखर्जी नगर हिंसा मामले में शामिल रहे दस पुलिसकर्मियों को निलंबित कर विभिन्न यूनिटों में भेज दिया गया है। इनके खिलाफ संयुक्त विभागीय जांच भी शुरू की गई है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को हाईकोर्ट को यह जानकारी दी।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 27 जून को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। मामला 16 जून को मुखर्जी नगर इलाके में पुलिसकर्मियों द्वारा टैंपों चालक और उसके नाबालिग बेटे से मारपीट से जुड़ा है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि दस पुलिसकर्मियों के निलंबन के बाद इनका स्थानांतरण कर विभागीय जांच शुरू की जा चुकी है।
जांच पूरी करने में समय लगेगा। खंडपीठ ने पुलिस को जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। यह जांच एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई थी। 19 जून को दायर याचिका में मुखर्जी नगर हिंसा में पुलिस पर शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
इस पर अगली सुनवाई दो सितंबर को होगी। याचिकाकर्ता सीमा सिंघल की वकील संगीता भारती और रुबिंदर घुम्मन ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पर यकीन नहीं है। पीड़ित टैंपो चालक व उसके नाबालिग बेटे का बयान दर्ज नहीं किया गया है। घटना का वीडियो भी पुलिस ने कोर्ट में पेश नहीं किया है। पुलिस अपने लोगों को बचा रही है।
जवाब में दिल्ली पुलिस ने कहा कि टैंपो चालक ने खतरनाक तरीके से पुलिसकर्मी के सिर पर तलवार से वार किया। इससे पहले उसने हवा में तलवार लहराई और पुलिसवालों को दौड़ाया था। पुलिस ने काफी मुश्किल से उसे काबू किया।
पहले तीन, बाद में 7 पुलिसकर्मी निलंबित
पुलिस ने हलफनामे में कहा कि शुरुआत में तीन पुलिसकर्मियों संजीव मलिक, देवेंद्र व पुष्पेंद्र को निलंबित किया गया था। अब सात और पुलिसकर्मियों को निलंबित कर सबके खिलाफ संयुक्त विभागीय जांच का आदेश दिया गया है।
मुखर्जी नगर मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद सिख समुदाय ने पुलिस कार्रवाई का कई दिन तक विरोध किया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इस मामले में चालक सरबजीत और दिल्ली पुलिस की ओर से दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। मामले पर अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त नजर रखे हुए हैं।
कोर्ट ने घटना का वीडियो देखने के बाद दिल्ली पुलिस से पूछा कि पुलिस एक बच्चे को सड़क पर घसीटकर कैसे पीट सकती है। इस घटना में शामिल तीन पुलिसवालों पर नहीं, बल्कि पूरे विभाग पर कार्रवाई होनी चाहिए। नाबालिग बच्चे से मारपीट करने वाले सभी पुलिसवालों की पहचान कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी पूछा था कि क्या इस मामले में कोई पड़ताल शुरू की गई है।
केंद्र सरकार उठा रही जरूरी कदम
खंडपीठ ने मामले से जुड़ी अधिवक्ता जोगेंद्र तुली की याचिका का बिना कोई आदेश दिए निबटारा कर दिया। तुली ने इस याचिका में खराब कानून-व्यवस्था को सुधारने के लिए दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त जवानों की भर्ती का निर्देश केंद्र सरकार को देने की मांग की थी। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार पहले ही कदम उठा चुकी है। इस मुद्दे पर अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है।