क्या एनजीटी को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट करेगा परीक्षण
NGT : Bharat Rajneeti
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मसले पर परीक्षण करने का निर्णय लिया है कि क्या एनजीटी को किसी मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है या नहीं? मालूम हो कि पर्यावरण से जुड़े मसलों केनिपटारे केलिए वर्ष 2010 में एनजीटी का गठन किया गया था। न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने इस मामले का परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर को अमाइकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है।
पीठ ने इस मामले में छह अगस्त को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। सुनवाई केदौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी ने कहा कि एनजीटी को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। यह एनजीटी केक्षेत्राधिकार से बाहर है। एनजीटी एक्ट में स्वत: संज्ञान लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
एनजीटी को सिर्फ उसी मामले का निपटारा करने काअधिकार है जिसे लेकर शिकायत की गई हो। इस पर पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि पर्यावरण का नुकसान होने की स्थिति में एनजीटी को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होना चाहिए। बहरहाल, पीठ ने इस मसले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है।