आज का साक्षात्कार: सीईएल के अध्यक्ष नलिन सिंघल बोले- सौर ऊर्जा से घर-घर बन सकती है बिजली

प्रश्न- आपको लगता है कि सोलर पार्क में प्रशिक्षण पाकर लोग इसे घरों में लगा सकेंगे?
उत्तर- बिल्कुल लगा सकेंगे। सौर ऊर्जा का प्लांट लगाना कोई बड़ा काम नहीं है। जैसे, कुछ लोग घरों में ट्यूबलाइट बदल लेते हैं, पंखे में कंडेंसर या कैपेसिटर बदल देते हैं, जबकि कुछ लोग इसके लिए भी बिजली मिस्त्री बुलाते हैं। जो लोग ऐसा कर लेते हैं, वह अपने घर में सौर ऊर्जा प्लांट भी लगा और चला सकते हैं। एसटीपी में आकर यही तो प्रशिक्षण मिलेगा। ग्रामीणों के लिए हमने सौर बुग्गी भी बनाई है जिससे दो किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है। इससे बनी बिजली का इस्तेमाल ट्यूबवेल, थ्रेसर या अन्य मशीन चलाने में हो सकेगा।
प्रश्न- आपने देश का पहला सोलर टेक्नोलॉजी पार्क विकसित किया है। इसकी परिकल्पना क्या है और इससे देश को किस तरह का फायदा होगा?
उत्तर- देश में सौर ऊर्जा की बात तो बहुत पहले से हो रही है लेकिन यह अभी भी सरकारी और औद्योगिक स्तर पर ही सीमित है। आम जनता की भागीदारी इसमें नहीं के बराबर है। सौर ऊर्जा की योजना तभी सफल होगी, जब आम लोगों में इसकी जानकारी और भागीदारी बढ़ेगी। अभी तक लोग समझते हैं कि इसके लिए विशेष तरह के भवन या खुली जगह चाहिए। हमने एसटीपी केजरिये यह समझाने की कोशिश की है कि आपका मकान चाहे कच्चा ही क्यों न हो, उसकी छत, दीवार, खिड़की, द्वार, शेड सभी में सौर ऊर्जा बनाने की क्षमता है। वहां आप सोलर सेल लगाकर बिजली बना सकते हैं। इसे चाहें तो बैटरी में एकत्र करें या फिर ग्रिड में सीधे बिजली डालकर पैसा कमायें। हम इसका प्रशिक्षण भी देंगे कि इसकी शुरुआत कैसे की जा सकती है।
प्रश्न- इस पार्क का मकसद सिर्फ जागरूकता फैलाना ही है?
उत्तर- ऐसी बात नहीं है। यहां स्कूली बच्चे आएं या इंजीनियरिंग छात्र, उन्हें पूरी जानकारी और प्रशिक्षण मिलेगा। हमने यहां वर्ष 1977 में बने देश के पहले दो इंच के सोलर सेल से लेकर आज के छह इंच वाले बाई फेसियल सोलर सेल और सोलर मॉड्यूल का उपयोग किया है। इसमें सेना के लिए बनाए फोल्डेबल सोलर मॉड्यूल भी लगाए हैं और लचीले सोलर मॉड्यूल से बनी एक किलोवाट बिजली बनाने वाली सौर छतरी भी। यहां छत की रेलिंग में भी सोलर मॉड्यूल का उपयोग हुआ है, जिससे 13 किलोवाट बिजली पैदा होती है। इसके अलावा सौर ऊर्जा से चलने वाले दमकल भी यहां लगाए हैं। इसका मकसद लोगों को तकनीक व उपयोगिता से रूबरू कराना है।