बालू खनन पर पंजाब समेत पांच राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, केंद्र और सीबीआई से भी मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अवैध बालू खनन के मामले में पंजाब, महाराष्ट्र समेत पांच राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। साथ ही केंद्र सरकार और सीबीआई से भी जवाब मांगा है। यह नोटिस उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसमें इन राज्यों में अवैध बालू खनन मामलों की जांच कराने और इसमें शामिल कंपनियों का पट्टा निरस्त करने की मांग की गई थी। सीबीआई, केंद्र व पांच राज्यों को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पहले याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा, लेकिन बाद में इस याचिका का खुद ही परीक्षण करने का निर्णय लिया। इसके बाद पीठ ने केंद्र सरकार, सीबीआई के साथ पंजाब, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता एम. अलगारसामी की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर अवैध खनन चल रहा है। संबंधित प्राधिकरण के संरक्षण में बिना अनिवार्य पर्यावरणीय योजना और मंजूरी हासिल किए यह सब हो रहा है। भूषण ने कहा, अवैध बालू खनन पूरे देश में अनियंत्रित समस्या बना हुआ है। इसे रोका जाना चाहिए।
ईआईए अधिसूचना-2016 का उल्लंघन
बालू खनन में लगे ट्रैक्टर(प्रतीकात्मक तस्वीर) : bharat rajneeti
याचिका में कहा गया था कि देश में अवैध रूप से चल रहे बालू खनन के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे आसपास के कारण पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहा है। याचिकाकर्ता ने पूरे देश की नदियों और समुद्री किनारों पर चल रही अवैध खनन की समस्या का मुद्दा उठाया था।
याचिकाकर्ता का दावा हे कि ईआईए अधिसूचना-2016 के मुताबिक, किसी भी प्राधिकारी को खनन की इजाजत देने से पहले एन्वायरमेंटल इंपेक्ट एसेसमेंट (ईआईए), एन्वायरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (ईएमपी) जांचने और स्थानीय जनता से सलाह-मशविरा करने का आदेश दिया गया था। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।
याचिकाकर्ता ने अवैध खनन के कारण घटते और प्रदूषित होते भूजल का भी मुद्दा उठाया और इसे संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जनता को मिले स्वच्छ पेयजल के अधिकार का हनन करार दिया है।