आजकल आए दिन चिंट फंड और पोंजी स्कीम के जरिए लोगों के पैसा डूबने की खबर आती रहती है। आरबीआई, बैंक और सेबी द्वारा बार-बार लोगों को चेतावनी जारी करने के बाद भी लोग ऐसी स्कीमों के भंवरजाल में फंस जाते हैं, जिसके बाद वो चाहकर भी कुछ कर नहीं पाते हैं। कंपनियों के डूबने के बाद भी लोगों को अपने जमा धन वापस नहीं मिलता है।
चिटफंड, पोंजी स्कीम को पहचानना जरूरी
ऐसे वक्त में निवेशकों को किसी भी निजी कंपनियों द्वारा शुरू की गई स्कीम में निवेश करने से पहले कई बार सोचना चाहिए। कंपनियां अक्सर लोगों को लालच देती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके बहकावे में आकर रकम जमा करें और फिर कुछ महीनों के बाद वो पैसा लेकर के भाग जाएं।
ज्यादा रिटर्न का छलावा
अगर कोई कंपनी निवेश पर सालाना 15 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न देने का दावा करे, तो फिर इस तरह की कंपनियों में निवेश करने से पहले सोचना चाहिए। आमतौर पर ऐसी कंपनियां लोगों में विश्वास दिलाने के लिए शुरुआत में तो पैसा वापस करती हैं, ताकि लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी लेकर आए, ताकि वो भी इनमें निवेश करें। जब पैसा आना बंद हो जाता है तो फिर यह लोगों को भी जमा पर रिटर्न देना बंद कर देती हैं।
रिटर्न पर मिलती है गारंटी
निवेशकों को विश्वास में लेने के लिए ऐसी कंपनियां रिटर्न देने में अपनी तरफ से गारंटी देती हैं। अक्सर ऐसी कंपनियां भविष्य में भी 20 से 25 फीसदी तक रिटर्न की गारंटी देती हैं। लेकिन मार्केट के हिसाब फिलहाल सरकारी स्कीमों को छोड़कर के कोई भी व्यक्ति या निजी कंपनी ऐसी गारंटी दे ही नहीं सकती है।
माइनस में नहीं जाएगा रिटर्न
कंपनियां संभावित निवेशकों से यह भी कहती हैं कि वो जो पैसा कंपनी की स्कीम में लगाएंगे वो भविष्य में कभी भी माइनस में नहीं जाएगा। उनकी स्कीम इस तरह का आशंकाओं से पूरी तरह से फुलप्रूफ है, जिसके चलते निवेश नीचे न जाकर के हमेशा बढ़ता ही रहेगा।
किसी वित्तीय प्राधिकरण से नहीं होते हैं रजिस्टर
यह कंपनियां अपना व्यापार फैलाने के लिए कंपनी एक्ट, आरबीआई, सेबी, इरडा जैसे नियामकों के द्वारा रजिस्टर्ड नहीं होते हैं। ऐसी कंपनियां केवल अपने स्वंय के निर्धारित नियमों से चलती हैं। इनके पास ऐसी स्कीम चलाने का कोई लाइसेंस भी नहीं होता है। हालांकि यह बात निवेशकों के मन में न आए, इसलिए चिट फंड कंपनियां चालाकी से ऐसे किसी एसोसिएशन या फिर मिलते-जुलते नियामकों के नाम का सहारा लेकर व्यापार को शुरू करती हैं।
कंपनियों के बारे में नहीं मिलती ज्यादा जानकारी
इंटरनेट के दौर में भी इन कंपनियों के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है। अगर कोई निवेशक ऐसी कंपनियों के बारे में गूगल या फिर अन्य किसी स्त्रोत से पता करना चाहेगा, तो मुश्किल से जानकारी हासिल होगी। हालांकि फ्रॉड दिखाने से बचने के लिए कंपनियां अपनी वेबसाइट बना लेती हैं, जो कि काफी सरल काम होता है। इनके द्वारा मिलने वाले रिटर्न के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है।
3 सालों में सबसे अधिक केस
कॉरपोरेट मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में एजेंसी को जांच के लिए सौंपी गई कंपनियों का आंकड़ा पिछले तीन वित्त वर्ष में सर्वाधिक है। जांच एजेंसी कॉरपोरेट मंत्रालय के अधीन ही काम करती है। चिट फंड/एमएलएम (बहु-स्तरीय मार्केटिंग)/पोंजी गतिविधियों में शामिल कुल 63 कंपनियों के मामलों को विस्तृत जांच के लिए एसएफआईओ को सौंपा गया है। आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष पूरा होने में अभी तीन महीने बाकी हैं।
2016 में थी 27 कंपनियां
साल 2016-17 में एसएफआईओ की जांच के दायरे में आने वाली कंपनियों की संख्या मात्र 27 थी, जबकि साल 2015-16 में यह आंकड़ा 47 था। आंकड़ों के मुताबिक, कथित तौर पर पोंजी योजनाओं के लिए 51 कंपनियों के मामले की जांच का आदेश एसएफआईओ को दिया गया। सामान्यतया पोंजी योजनाएं अवैध रूप से धन इकट्ठा करने की गतिविधियां हैं, जिसमें निवेशकों को कम समय में अधिक से अधिक रिटर्न का लालच देकर उन्हें लुभाया जाता है।
केंद्र लगा रहा है अंकुश
केंद्र व राज्य सरकार के स्तर पर अधिकारी इस तरह के प्रयासों पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि भारी तादाद में लोग इस तरह की गतिविधियों का शिकार हो चुके हैं और ठगे गए हैं। कई कंपनियां भी ऐसा करती हैं, जो जमा धन पर ज्यादा ब्याज देने का पहले वादा करती हैं, लेकिन बाद में निवेशकों को कुछ भी हासिल नहीं होता है।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना 2500 लोग इसकी ट्रेडिंग में लगे हैं। इन दोनों तरह की एक्टिविटी पर सरकार की ओर से रेग्युलेशन नहीं है, जिससे निवेशकों का पैसा डूबने का खतरा बना रहता है। सरकार अब ऐसी हर एक्टिविटी पर नजर रखने के उद्देश्य से इस तरह की योजनाओं को लेकर जल्द विधेयक लाने जा रही है। विधेयक लाने का उद्देश्य जहां आम निवेशकों की जमा राशि को सुरक्षित रखना है।
आपका निवेश होगा सुरक्षित
सरकार का मकसद आपके निवेश को सुरक्षित करने का है। इसके लिए सरकार की तरफ से एक ऑनलाइन डाटाबेस बनेगा जिसमें देश में डिपॉजिट स्कीम्स से जुड़ी हर इन्फॉर्मेशन इकट्ठा करने और उन्हें शेयर करने की व्यवस्था होगी।