देश में पर्यावरण आपातकाल जैसी स्थिति नहीं, जल्द हासिल होगा 'पेरिस समझौते' का लक्ष्य: जावड़ेकर
प्रकाश जावड़ेकर - फोटो : bharat rajneeti
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि देश में पर्यावरण आपातकाल घोषित करने जैसी स्थिति नहीं है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिन देशों में ऐसा किया गया है उनके मुकाबले भारत में अभी प्रदूषण बेहद कम है।
साथ ही जावड़ेकर ने कहा, जलवायु परिवर्तन को लेकर सरकार के लक्ष्य तय हैं और पेरिस समझौते के बिंदुओं की दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे प्रदूषण के लिए यूं तो भारत का योगदान न के बराबर है लेकिन इसके निवारण में हम सहयोग करना चाहते हैं। सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को दो डिग्री से अधिक नहीं बढ़ने देने के संकल्प पर काम जारी है।
त्रिकोणीय प्रयासों से हासिल करेंगे पेरिस समझौते का लक्ष्य
सरकार पेरिस समझौते के तहत दुनियाभर के देशाें के लिए जारी आईएनडीसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीन बिंदुओं पर काम कर रहा है। इसमें पहला जीडीपी की ऊर्जा तीव्रता को 30 से 35 फीसदी तक कम करना। जावड़ेकर ने बताया कि 28000 मेगावाट सौर ऊर्जा के संयंत्र लगाए जा चुके हैं। दूसरा अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में 78,000 मेगावॉट के लक्ष्य की ओर तेजी से प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन से 40 फीसदी संचयी बिजली स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
तीसरा कार्बन उत्सर्जन को कम करने के कदम उठाए गए हैं । उन्होंने कहा कि दो वर्षों में वन क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार अकेले पर्यावरण के क्षेत्र में काम नहीं कर सकती, इसके लिए प्रत्येक को जिम्मेदारी समझनी होगी और सहयोग करना होगा।
भीषण गर्मी से रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी हुए
सरकार ने बीते एक माह में उत्तर भारत में भीषण गर्मी के कारण रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किए हैं। जून में पश्चिम राजस्थान के लिए रेड अलर्ट जारी हुआ था जिसका मतलब है तापमान को लेकर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं बुरे वक्त के लिए तैयार रहने वाला ऑरेंज अलर्ट मध्य प्रदेश के लिए जारी हुआ था। अपडेट रहने वाला येलो अलर्ट पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लिए जारी किया गया।
कर्नाटक जल संकट पर बैठक बुलाएंगे
जावड़ेकर ने कर्नाटक के हालात पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि वहां नदियों की स्थिति चिंतनीय है। उन्होंने सदन को बताया कि वह तीन बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और संसद सत्र के बाद इस मामले पर बैठक बुलाकर चर्चा की जा सकती है। विविध योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट दिया गया है बस उसके सही ढंग से क्रियान्वयन किया जाना बाकी है।