Rajneeti News: चंद्रयान-2 का नेतृत्व नारी शक्ति के हाथ: इन दो महिला वैज्ञानिकों के कंधों पर अहम जिम्मेदारी

मुथैया यूआर राव सैटेलाइट सेंटर से एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। वह डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं और उन्होंने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं। उन्होंने मैपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह (कार्टोसैट 1), दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह (ओशनसैट 2) और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इंडो-फ्रेंच उपग्रह (मेघा-ट्रॉपिक) पर उप परियोजना निदेशक के तौर पर काम किया है।
2006 में उन्हें एस्ट्रॉनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया था। साइंस जर्नल नेचर ने उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था जिनपर 2019 में नजर रहेगी। करिधाल की बात करें तो यह उनका पहला बड़ा अतंरिक्ष मिशन नहीं है। इससे पहले वह भारत के मार्स मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2007 में उन्हें इसरो का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार मिल चुका है।
रितु के मुताबिक तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर खींचा मैं सोचती थी कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए विषय नहीं जुनून था। रितु ने इसरो में कई अहम प्रोजेक्ट किए पर मंगलयान की उप परियोजना निदेशक के रूप में वह इस मिशन को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं। पूरा विश्व और हमारी 103 करोड़ की आबादी हमारी ओर देख रही थी। हमारे पास कोई अनुभव नहीं था, लेकिन सैकड़ों वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर हमने वह भी कर दी।