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शनिवार, 27 जुलाई 2019

तीन तलाक बिल पर कानून बनना लगभग तय, उच्च सदन में सरकार ने ऐसे किया बहुमत का जुगाड़

तीन तलाक बिल पर कानून बनना लगभग तय, उच्च सदन में सरकार ने ऐसे किया बहुमत का जुगाड़

triple talaq
triple talaq - फोटो : bharat rajneeti
तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी बिल का इस बार कानूनी जामा पहनना तय है। इसके लिए सरकार ने उच्च सदन में जरूरी संख्याबल का जुगाड़ कर लिया है। इस बिल पर सरकार को जहां राजग केइतर बीजेडी का सीधा साथ मिलेगा, वहीं टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस वोटिंग के दौरान वाक आउट करने पर सहमत हो गए हैं। इसके अतिरिक्त वोटिंग के दौरान सपा और राजद के कुछ सदस्य अनुपस्थित रह कर सरकार को परोक्ष लाभ पहुंचाएंगे।
सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक अब तक की रणनीति के हिसाब से तीन तलाक बिल को सोमवार को उच्च सदन में पेश किया जाएगा। खासतौर से इसी बिल पर जरूरी संख्याबल जुटाने में कामयाब होने के बाद सरकार ने वर्तमान सत्र की अवधि बढ़ाने का फैसला लिया था। उक्त मंत्री ने दावा किया कि तीन तलाक बिल पर सरकार के पास 117 सांसदों का समर्थन है। इसकेअलावा जदयू, टीआरएस और वाईएसआर के 14 और सपा-राजद के कम से कम तीन सदस्य वोटिंग के दौरान वाकआउट करेंगे। इससे सरकार का काम आसान हो जाएगा।

राज्यसभा में क्या है गणित

राज्यसभा में इस समय 240 सदस्य हैं। ऐसे में बिल पारित कराने केलिए सरकार को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए। वर्तमान में बीजद समेत इस बिल के समर्थन में 117 सदस्य हैं। अगर जदयू, टीआरएस, वाईएसआर के 14 और राजद-सपा के तीन सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया तो सदन की शक्ति 223 रह जाएगी। इस हिसाब से बिल पारित कराने के लिए सरकार को महज 112 सदस्यों के समर्थन की ही जरूरत पड़ेगी। 

आरटीआई बिल से दिखी बानगी

सरकार ने अपनी रणनीति का अहसास गुरुवार को आरटीआई संशोधन बिल के दौरान कराया। इस बिल के समर्थन में 117 तो विरोध में महज 74 मत पड़े। इस दौरान 49 सदस्य या तो अनुपस्थित रहे या वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

तीसरे प्रयास में मिलेगी सफलता!
इस बिल को कानूनी जामा पहनाने के लिए सरकार इससे पहले तीन बार प्रयास कर चुकी है। बिल हर बार लोकसभा में पारित हुआ, मगर राज्यसभा की दहलीज पार नहीं कर पाया। इस बिल पर अड़ी सरकार ने इसके लिए तीन बाद अध्यादेश जारी किया।

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