सीबीआई ने मुलायम-अखिलेश के खिलाफ नहीं की निष्पक्ष जांच
मुलायम सिंह, अखिलेश यादव - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
- मुलायम ने मुख्यमंत्री रहते सौ करोड़ की संपत्ति जुटाई
- 2005 में याचिका दायर कर उठाया था मामला
सपा नेता मुलायम सिंह यादव और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच बंद करने के सीबीआई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई ने साक्ष्यों को दबाते हुए यादव परिवार के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं दर्ज करने में मदद की।
याचिका में चतुर्वेदी ने कहा, सीबीआई ने इस साल मई में शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि उसे मुलायम व अखिलेश के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। इस लिए उसने 7 अगस्त 2013 को जांच बंद कर दी। सीबीआई ने यह भी दावा किया कि उसने सीवीसी को अक्तूबर 2013 में इस मामले की रिपोर्ट भी सौंपी है। चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि उसकी आरटीआई याचिका का जवाब देते हुए सीवीसी ने 5 जुलाई को स्पष्ट किया कि ऐसी कोई रिपोर्ट सीबीआई की ओर से नहीं मिली है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने शीर्ष कोर्ट में गलत बयान पेश किया है और सीबीआई जांच को कानूनन गलत भी ठहराया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि सीबीआई को सही जांच रिपोर्ट पेश करने और 2007 और 2013 के आदेश के बाद उठाए गए कदम के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए जाएं।
मुलायम ने मुख्यमंत्री रहते सौ करोड़ की संपत्ति जुटाई
याचिका में आरोप लगाया गया कि 1999 से 2005 के बीच मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए गैरकानूनी ढंग से सौ करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है। साथ ही सीबीआई ने इस जांच में जरूरत से अधिक समय लिया।
2005 में याचिका दायर कर उठाया था मामला
चतुर्वेदी ने 2005 में मुलायम, अखिलेश और डिंपल यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आय से अधिक मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में सीबीआई को भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत यादव परिवार के खिलाफ जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। इस पर मुलायम सिंह यादव ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे दिसंबर 2012 में शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर सीबीआई को जांच की जिम्मेदारी थी।