साइबर अपराध में पढ़े लिखों को मात दे रहे 'अनपढ़' नटवरलाल, इंटरनेट और यूट्यूब है इनकी पाठशाला
hacker : bharat rajneeti
लोगों में आमधारणा है कि साइबर अपराध करने वाले लोगों को कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की जबरदस्त जानकारी होती है, जिसके चलते ही वे ऐसे अपराधों को अंजाम देते हैं। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी साइबर अपराध करने वालों में आईटी प्रोफेशनल्स से ज्यादा संख्या ऐसे अपराधियों की है, जिन्होंने कभी भी इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी से संबंधित कोई कोर्स किया हो। इनमें से ज्यादातर अपराधियों ने इंटरनेट और यूट्यूब से अलग-अलग तरीके सीखकर साइबर अपराध को अंजाम दिया
हर 10 मिनट में एक साइबर अपराध
साइबर क्राइम - फोटो : bharat rajneeti
ग्लोबल इनफार्मेशन सिक्योरिटी सर्वे 2018-19 की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साइबर अपराध करने वाले कुल अपराधियों में से 58 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने कंप्यूटर से संबंधित कोई पढ़ाई नहीं की है। जबकि साइबर अपराधियों में 44 फीसदी संख्या उन लोगों की है, जिन्होंने किसी संस्थान से कंप्यूटर के कोर्स कर चुके हैं, लेकिन नौकरी न लगने या पैसों के लालच में साइबर अपराध को अंजाम दिया। देश में इंटरनेट सस्ता होने के कारण डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला है, वहीं साइबर अपराधों की संख्या भी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में हर दस मिनट में एक साइबर अपराध रिकॉर्ड किया गया है, वहीं बहुत सारे अपराधों को रिकॉर्ड भी नहीं किया जाता।
11 महीने में ही 15 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स हैक
सांकेतिक तस्वीर : bharat rajneeti
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम यानी ई-सर्ट के आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में जनवरी से नवंबर के बीच केवल 11 महीने में ही 15 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स को हैक किया गया। वहीं समय के साथ यह आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल इनफार्मेशन सिक्योरिटी सर्वे के मुताबिक साइबर अपराधियों ने फिशिंग से सबसे ज्यादा 22 फीसदी लोगों को अपना निशाना बनाया, जबकि मॉलवेयर भेजकर सिस्टम हैक करने वाले अपराधों की संख्या लगभग 20 फीसदी है। 13 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनमें किसी कंपनी के सिस्टम को नुकसान पहुंचाने के लिए सुनियोजित तरीके से साइबर अटैक किया गया। जवाहरलाल नेहरु पोर्ट पर 2017 में हुआ पेत्या रैनसमवेयर अटैक को इसी प्रकार का हमला माना जाता है। वहीं एजेंसियों का अनुमान है कि इस अपराध के पीछे चीन के साइबर अपराधी भी हो सकते हैं।
90 फीसदी अपराधियों की उम्र 35 साल से कम
Cyber Crime : bharat rajneeti
साइबर अपराध करने वाले अपराधियों की उम्र किसी भी समाज के लिए बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। साइबर अपराध करने वाले कुल अपराधियों में 90 फीसदी की उम्र 35 साल से कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह वही वर्ग हो सकता है, जो कंप्यूटर कोर्स करने के बाद नौकरी न मिलने से गलत राह पर चला जाता है। हालांकि, इन अपराधियों में बड़ी कम्पनी में काम कर रहे प्रोफेशनल्स भी शामिल पाए गये हैं।
एटीएम फ्रॉड से लोगों को भारी नुकसान
पैसे निकालने के लिए लोग बैंक की बजाय एटीएम जाना पसंद करते हैं और इनका जमकर इस्तेमाल भी हो रहा है। लेकिन इसी के साथ एटीएम से होने वाले फ्रॉड भी बढ़ते जा रहे हैं। पैसा निकासी के समय किसी को मदद करने के बहाने अपराधी लोगों के पिन नंबर और सीवीवी नंबर जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर लेते हैं और कार्ड क्लोनिंग से लोगों के खातों से पैसे उड़ा देते हैं। ऐसे अपराध में बैंक, मॉल, रेस्टोरेंट या पेट्रोल पंपों जैसी जगहों पर काम कर रहे कुछ लोग भी शामिल होते हैं। इनका काम क्रेडिट या डेबिट कार्ड का डाटा चुराकर अपने उन साथियों को उपलब्ध कराना होता है, जो दूर बैठकर इन अपराधों को अंजाम देते रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कुल दर्ज मामलों में अकेले 2017 में इस तरह के अपराध के जरिये लोगों को 94.4 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया।
एक्सपर्ट नहीं हैं अधिकारी
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दिल्ली पुलिस के साइबर सेल में कार्यरत एक अधिकारी के मुताबिक इन अपराधियों से निपटने के मामले में व्यवस्था बेहद लचर है। देश की सबसे स्मार्ट पुलिस मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस में भी ऐसे सक्षम साइबर एक्सपर्ट नहीं हैं, जो इन अपराधियों की बदलती तकनीकी से परिचित हों। साइबर अपराध शाखा के नाम पर हर जिले में साइबर सेल अवश्य बना दिए गये हैं, लेकिन उनमें काम करने वाले अधिकारी तकनीकी तौर पर एक्सपर्ट नहीं हैं। साइबर सेल में काम कर रहे जवानों को बदलते तरीकों के प्रशिक्षण की सुविधा नहीं है, जिसके कारण ज्यादातर मामलों में ऐसे अपराधी पकड़ में नहीं आते।