'जन्मस्थान तब भी पूजा जाता था जब वहां कोई आकार नहीं था' जज ने पूछा-क्या रघुवंश का कोई वंशज अब भी है?
खास बातें
भाजपा बोली, यह मामले को टालने की कोशिश
जज ने कहा- क्या रघुवंश का कोई वंशज अब भी है
देवता महत्वपूर्ण न कि उसकी छवि
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पक्षकार रामलला विराजमान के वकील के परासरन ने कहा, भगवान राम का अस्तित्व और उनकी पूजा इस स्थल पर मूर्ति स्थापित होने व मंदिर बनाए जाने से पहले से है।
यहां तक कि पुरातत्व विभाग की खुदाई में जो सबूत मिले हैं उससे साफ है कि उस स्थान पर मस्जिद से पहले मंदिर था। परासन ने यह भी कहा कि हिंदू दर्शन में ईश्वर किसी एक रूप में नहीं है। साकार और निराकार, दोनों रूपों में उनकी पूजा होती है।
पीठ से परासरन से सवाल किया कि एक देवता को वादी कैसे माना जा सकता है? जवाब में परासर ने कहा कि ईश्वर कण-कण में हैं, लेकिन विभिन्न रूपों में उनकी पूजा की जाती है। मंत्र पूजा और मूर्ति तो भगवान की पूजा का माध्यम है। इसके लिए किसी रूप की जरूरत नहीं है।
यहां तक कि पहाड़ों को भी देवता के रूप में पूजा जाता है। तिरुअन्नामलाई, चित्रकूट आदि में परिक्रमा की जाती है। केदारनाथ में भी कोई मूर्ति नहीं है बल्कि प्राकृतिक शिला है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में जन्मस्थान के चारों ओर एक मार्ग है, जहां पर लोग परिक्रमा करते हैं।
लोग वहां पर देवता की जन्मभूमि मानकर पूरे जन्मस्थान की परिक्रमा करते हैं। हिंदू धर्म में स्वरूप जरूरी नहीं है। जन्मभूमि की पूजा तब भी की जाती थी, जब वहां पर कोई आकार नहीं था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष लगातार अदालत में गलत दावा नहीं कर सकते हैं।
देवता महत्वपूर्ण न कि उसकी छवि
परासरन ने दलील दी कि देवता को जीवित प्राणी की तरह माना जाता है। मूर्ति पूजा की अवधारणा केवल एकाग्रता बढ़ाने के लिए आई थी। हालांकि, महत्वपूर्ण हैं देवता, न की उनकी छवि या फिर कोई और रूप।
दरअसल, परासरन ने यह दलील इसलिए दी कि क्योंकि बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया जा सकता है। क्या उसे कानूनी तौर पर वाद दायर करने का अधिकार हो सकता है। किसी मूर्ति या प्रतिमा को कानूनी तौर पर जीवित व्यक्ति मानकर उसे वादी बनाया जाना समझ में आता है, लेकिन क्या जन्मस्थान को कानूनी तौर पर वादी माना जा सकता है?
क्या रघुवंश का कोई वंशज अब भी है: जज
परासरन ने कहा कि रामायण में उल्लेख है कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और रावण के अंत करने की बात कही। तब विष्णु ने कहा कि इसके लिए उन्हें अवतार लेना होगा। इस बारे में जन्मभूमि का वर्णन किया गया है और इसका महत्व है। इस पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या अभी दुनिया में रघुवंश का कोई वंशज मौजूद हैं? जिसपर परासरन ने कहा कि मुझे नहीं पता।
भाजपा बोली, यह मामले को टालने की कोशिश
वक्फ बोर्ड द्वारा पांच दिन सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जताने पर भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, पहले हर बार तारीख मिलती थी, अब जब सुप्रीम कोर्ट हर दिन सुनवाई करने को तैयार है तो फिर मामले को टालने की कोशिश कर रहे हैं।
इस तरह के बयान देकर सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना पक्ष कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहा, बोर्ड के बयान से किसी का कोई फायदा नहीं होने वाला हैं। दोनो पक्ष पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य होगा।