1984 सिख दंगों के 35 साल बाद कमलनाथ की बढ़ेंगी मुश्किलें, एसआईटी दोबारा करेगी जांच - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 10 सितंबर 2019

1984 सिख दंगों के 35 साल बाद कमलनाथ की बढ़ेंगी मुश्किलें, एसआईटी दोबारा करेगी जांच

1984 सिख दंगों के 35 साल बाद कमलनाथ की बढ़ेंगी मुश्किलें, एसआईटी दोबारा करेगी जांच

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगे भड़क गए थे
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगे भड़क गए थे - फोटो : bharat rajneeti
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। इस बारे में एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक इन मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मुकदमा बंद हो चुका है। दंगों के 35 साल बाद खोले गए इन मामलों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की भूमिका की भी जांच की जाएगी। दिल्ली में अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया है कि जिन केसों को दोबारा खोला जा रहा है उनमें से एक केस में कमलनाथ पर भी आरोप लगे हैं।  सिरसा का कहना है कि कमलनाथ ने कथित तौर पर इन सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी। उन्होंने पिछले साल गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर 1984 में हुए दंगों की दोबारा जांच करने की मांग की थी। नई दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में कमलनाथ का नाम कभी नहीं आया। इस दौरान कमलनाथ कांग्रेस कमेटी के इंचार्ज, जनरल सेक्रेटरी और कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामले 1984 में वसंत विहार, सन लाइट कालोनी, कल्याणपुरी, संसद मार्ग, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे।संज

गृह मंत्रालय ने कमलनाथ के बारे में किसी भी तरह की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों, समूहों और संगठनों को बुलाया है। केस एफआईआर संख्या 601/84 पर आधारित है। यह उन सात मामलों में से एक है जिन्हें फिर से खोला गया है। यह उन गवाहों के बयान पर आधारित है जिन्होंने दावा किया था कि नाथ सिख विरोधी उस भीड़ में शामिल थे जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज को सीज कर दिया था। 

इस दंगे के गवाह जैसे कि संजय सूरी (तत्कालीन क्राइम रिपोर्टर) ने दावा किया था कि नाथ हिंसक भीड़ का हिस्सा थे। हालांकि कांग्रेस नेता इस बात से इनकार करते रहे हैं। एफआईआर में भी उनका नाम नहीं था और केस का ट्रायल बंद हो चुका है। अकाली विधायक सिरसा का कहना है कि चूंकि एसआईटी मामले की दोबारा जांच करेगी इसलिए दो गवाह उसके सामने पेश होंगे और दंगों में नाथ की भूमिका के बारे में बताएंगे।

उन्होंने कहा कि पहले गवाह संजय सूरी अब इंग्लैंड में बस गए हैं और दूसरे मुख्तियार सिंह पटना में रहते हैं। सिरसा ने कहा, 'मैंने दोनों से बात कर ली है और वह एसआईटी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं।' पिछले महीने एक सार्वजनिक नोटिस में 1984 के सिख विरोधी दंगों पर एसआईटी ने सभी व्यक्तियों, संगठनों, संस्थाओं और संगठनों से कहा कि वे दिल्ली में संबंधित पुलिस स्टेशनों के एसआईटी के प्रभारी अधिकारी से संपर्क करें जहां मामलों को दोबारा खोला गया है। 

गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति जी पी माथुर (पुनरीक्षण) समिति की सिफारिश के बाद 12 फरवरी 2015 को एसआईटी का गठन किया गया था। तीन सदस्यीय एसआईटी अब तक सिख विरोधी दंगों के संबंध में दर्ज 650 मामलों में से 80 को फिर से खोल चुकी है। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या करने के बाद देश में सिख विरोधी दंगे हुए थे। जिसमें 3,325 लोग मारे गए थे। अकेले दिल्ली में 2,733 लोगों की जान गई थी।

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