अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष ने कहा- 1949 में हुई गलती को हमेशा जारी नहीं रखा जा सकता

बुधवार को हुई सुनवाई में धवन ने कहा कि 22 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद के गुंबद केनीचे मूर्ति रखी गई। ऐसा करना गलत था। जनवरी 1950 में मजिस्ट्रेट द्वारा इस गलत चीज को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया जाता है तो क्या इस गलती को जारी रखा जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस आधार पर कोई उस जगह पर अपना अधिकार का दावा कैसे कर सकता है। दूसरे पक्ष को यह साबित करना होगा कि 22 दिसंबर की रात से पहले क्या हुआ था।
साथ ही धवन ने निर्मोही अखाड़े के वाद का विरोध करते हुए कहा कि सेवादार केअलावा अन्य चीजों पर उनका दावा नहीं बनता, क्योंकि वे मालिक नहीं हैं। वे सिर्फ सेवादार है और सेवादार और ट्रस्टी में फर्क होता है। बुधवार को अयोध्या मामले की सुनवाई महज डेढ़ घंटे चली। अगली सुनवाई वृहस्पतिवार को होगी।
बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई करने वाले जज का कार्यकाल बढ़ा
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि बाबरी विध्वंस मामले का ट्रायल चला रहे विशेष जज एसके यादव के कार्यकाल का विस्तार कर दिया गया है। साथ ही उन्हें अन्य सुविधाएं भी प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने बताया कि इसकेलिए जरूरी आदेश पारित कर दिया गया है।
गत 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जज एसके यादव के कार्यकाल में विस्तार करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने जज यादव को नौ महीने के भीतर इस मामले में फैसला देने केलिए कहा था। 30 सितंबर को जज यादव सेवानिवृत्ति होने वाले हैं।