अयोध्या विवाद पर मुस्लिम पक्ष की दलील, कहा- 1992 में मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत मिटाना था
खास बातें
शिलालेखों को कैसे नकार सकते हैं
धवन ने तीन शिलालेखों का हवाला देते हुए कहा, इनमें लिखा गया था कि बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद बनाई। इन शिलालेखों पर हिंदू पक्षकारों को आपत्ति है। जब हिंदू पक्ष यात्रा वृतांत और गजेटियर की बात करते हैं तो वे इसे कैसे नकार सकते हैं। हाईकोर्ट ने इन शिलालेखों को नकार दिया, जो सही नहीं है।
मुस्लिम पक्ष के एक और वकील जफरयाब जिलानी का यह कहना बिल्कुल सही है कि 1855 से पहले किसी दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एसए बोबडे ने सवाल किया कि मस्जिद में संस्कृत में लिखे शिलालेख भी हैं। इस पर धवन ने कहा, मस्जिद, हिंदू और मुस्लिम मजदूरों ने मिलकर बनाई थी। संभव है कि काम खत्म होने के बाद मजदूर यादगार के तौर पर कुछ लिखकर जाते हों।
भगवान विष्णु स्वयंभू हैं : धवन
धवन ने कहा, 1985 में राम जन्मभूमि न्यास बनाया गया। इसके बाद वाद दाखिल किया गया। वर्ष 1989 से विश्व हिंदू परिषद शिला लेकर पूरे देश में घूमने लगी। देश में माहौल बनाकर 1992 में मस्जिद ढहा दी गई। मस्जिद गिराने का मकसद हकीकत को खत्म करना और मंदिर बनाना था। उन्होंने कहा, राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति मानने के पीछे मकसद यह है कि भूमि को कहीं और शिफ्ट न किया जाए और कोर्ट में दावा सही साबित किया जा सके।
धवन ने कहा कि भगवान विष्णु स्वयंभू हैं और इसके सुबूत हैं। यहां भगवान राम के स्वयंभू होने की दलील पेश की जा रही है। दलील दी जा रही है कि भगवान राम सपने में आए थे और बताया कि उनका सही जन्मस्थान कहां पर है। धवन ने कहा कि क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है।