जल्द शुरू होंगी बंद चीनी मिलें, इनमें शुरू किया जाएगा एथनॉल उत्पादन : नितिन गडकरी
नितिन गडकरी (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- एथनॉल उत्पादन के लिए बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराया जाएगा
- एथनॉल उत्पादन उद्योग के 25 हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ पहुंचने की संभावना
- हरित ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए बहुस्तरीय बैंक केएफडब्ल्यू के साथ करार
- गन्ना उत्पादक राज्यों की अर्थव्यवस्था में आएगा उछाल
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि एथनॉल उत्पादन के लिए जल्द ही बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराया जाएगा। इसके लिए सरकार नई नीति बनाने जा रही है, जिसमें वित्तीय मदद का प्रावधान शामिल हो सकता है। गडकरी ने कहा कि एथनॉल उत्पादन उद्योग मौजूदा 25 हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये पहुंच सकता है, जिससे क्रूड के सालाना आयात बिल में सात लाख करोड़ रुपये की कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वित्तीय अभाव में अभी कई चीनी मिलें बंद हैं। हम इसके लिए कैबिनेट नोट तैयार करेंगे, ताकि इन मिलों की 5-6 एकड़ जमीन का इस्तेमाल एथनॉल उत्पादन में किया जा सके। इसकी नीति सरकार जल्द ही तैयार कर लेगी।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र में हरित ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए बहुस्तरीय बैंक केएफडब्ल्यू के साथ करार किया गया है। मैं इस बैंक से चीनी मिलों को भी कम ब्याज पर कर्ज देने की सिफारिश करूंगा और इसके लिए पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ भी एक तंत्र विकसित किया जाएगा। गन्ने से एथनॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा।
पेट्रोल-डीजल वाहन बंद नहीं करेगी सरकार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार वैकल्पिक ईंधन के प्रसार के क्रम में पेट्रोल-डीजल वाहनों को बंद नहीं करेगी। हमारी कोशिश सिर्फ वैकल्पिक ईंधन मुहैया कराने की है, जिस पर जीएसटी की दर काफी कम है। उन्होंने कहा कि ई-वाहन के इस्तेमाल को गति देने के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की कोई जरूरत नहीं है। ई-वाहन धीरे धीरे खुद ही रफ्तार पकड़ लेगा और अगले दो वर्षों में सभी बसों को इलेक्ट्रिक कर दिया जाएगा।
घट जाएगी परिवहन लागत
गडकरी ने कहा कि अगर हम बिजली आधारित परिवहन का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे डीजल की तुलना में लागत करीब 15 रुपया प्रति लीटर तक कम हो जाएगी। यह बिल्कुल उसी तरह होगा, जैसे प्लास्टिक के सिलेंडर के इस्तेमाल में आने के बाद एलएनजी की लागत 50 फीसदी और सीएनजी की 40 फीसदी कम हो सकती है। एमएसएमई की कर्ज लागत को घटाने पर भी सरकार का जोर है। यह कई देशों में दो-तीन फीसदी है, तो कुछ जगह एक फीसदी है। भारत में एमएसएमई के कर्ज की लागत 11 से 14 फीसदी तक आती है।