राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिगृहण पर भी मिलेगा हर्जाना और ब्याज : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए अधिगृहित होने वाली जमीन के लिए हर्जाना और ब्याज मिलेगा
- सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा-3जे को असंवैधानिक करार दिया
- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार समेत अन्य की याचिकाओं पर दिया आदेश
अब राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए अनिवार्य रूप से अधिगृहित होने वाली जमीन के लिए भी उसके मालिकों को हर्जाना और इसमें देरी पर ब्याज मिलेगा। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा-3जे को असंवैधानिक करार देते हुए यह अहम फैसला दिया है। जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा, हर्जाना और ब्याज से संबंधित भूमि अधिग्रहण अधिनियम का प्रावधान राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम,1956 के तहत भी लागू होगा। अदालत ने धारा-3जे को संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता) का उल्लंघन बताया। इस धारा के मुताबिक भूमि अधिग्रहण अधिनियम का प्रावधान राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम पर लागू नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार समेत अन्य की याचिकाओं पर अपना आदेश दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत अधिगृहित जमीनों के एवज में हर्जाना व ब्याज नहीं देना कानूनन सही नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है।
1997 से 2015 के बीच हुए अधिगृहण पर मालिकों को मिलेगा लाभ
1997 में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम में हुए संशोधन के तहत हर्जाने व ब्याज के हिस्से को हटा दिया गया था। इससे पहले राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहण भी भूमि अधिग्रहण के प्रावधानों के तहत होता था। फिर 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून को खत्म कर ‘राइट टू फेयर कॉम्पनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन रिहेबलिटेशन एंड रीसेटलमेंट’ एक्ट लाया गया। सरकार ने कहा, इसके जरिए फिर से हर्जाना व ब्याज राष्ट्रीय राजमार्ग के तहत होने वाले अधिग्रहण पर लागू कर दिया गया। यह 2015 में लागू हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट ने ताजा आदेश में कहा है, 1997 से 2015 के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अनिवार्य जमीन अधिग्रहण के मामले में भी जमीन मालिकों को हर्जाना व ब्याज मिलेगा।