रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा- वैश्विक मंदी की स्थिति नहीं, लेकिन सरकारी राहत की गुंजाइश कम
खास बातें
दास ने कहा, मुझे लगता है कि राजकोषीय गुंजाइश काफी सीमित है। राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कर्ज को देखते हुए इस मामले में काफी कम गुंजाइश है। लेकिन कर संग्रह के मामले में सरकार की क्या स्थिति है, वास्तिवक रूप से कितना व्यय होगा, ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिस पर सरकार को विचार करना है।
उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है। वैश्विक वृद्धि दर घट रही है और केंद्रीय बैंक इससे उबरने के लिए लगातार मौद्रिक नीति में नरमी ला रहे हैं। हालांकि यह कोई मंदी नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूएस फेड के ब्याज दर घटाने के फैसले से विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है।
दास ने उम्मीद जतायी कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में कटौती से देश में कोष प्रवाह को गति मिलेगी लेकिन ऐसे पूंजी प्रवाह को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि सब्सिडी की कम मात्रा को देखते हुए सऊदी संकट का मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे पर केवल सीमित प्रभाव होगा।
उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में दो तेल प्रतिष्ठानों पर ड्रोन के हमलों से कच्चे तेल के दाम में अच्छी-खासी वृद्धि देखी गयी है। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 83 प्रतिशत आयात करता है। इराक के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के मसले पर दास ने कहा कि हाल में क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई पर खास असर नहीं पड़ेगा।