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शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा- वैश्विक मंदी की स्थिति नहीं, लेकिन सरकारी राहत की गुंजाइश कम

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा- वैश्विक मंदी की स्थिति नहीं, लेकिन सरकारी राहत की गुंजाइश कम

Shaktikanta das
Shaktikanta das - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • आरबीआई ने कहा- अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के चलते चिंताएं तो हैं, लेकिन वैश्विक मंदी की कोई स्थिति नहीं
  • भारत दुनिया के सबसे कम कर्ज वाले देशों में से एक
  • जीडीपी की तुलना में भारत के आयात और निर्यात में सुधार हो रहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव के चलते चिंताएं तो हैं, लेकिन वैश्विक मंदी की कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था में लगातार सकारात्मक घटनाक्रम हो रहे हैं, जिससे सुस्ती से पार पाना आसान हो जाएगा। ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम 2019 में अपने संबोधन में दास ने कहा कि जीडीपी की तुलना में महज 19.7 फीसदी कर्ज के साथ भारत दुनिया के सबसे कम कर्ज वाले देशों में से एक है। जीडीपी की तुलना में भारत के आयात और निर्यात में सुधार हो रहा है। हालांकि बाह्य क्षेत्र प्रबंधन के मामले में चिंता के कई क्षेत्र हैं। उन्होंने मौजूदा सुस्ती के लिए मांग और निवेश में कमी को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन उन्होंने सरकार के पास वित्तीय प्रोत्साहन के लिए सीमित गुंजाइश होने की भी बात कही।

दास ने कहा, मुझे लगता है कि राजकोषीय गुंजाइश काफी सीमित है। राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कर्ज को देखते हुए इस मामले में काफी कम गुंजाइश है। लेकिन कर संग्रह के मामले में सरकार की क्या स्थिति है, वास्तिवक रूप से कितना व्यय होगा, ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिस पर सरकार को विचार करना है।

उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है। वैश्विक वृद्धि दर घट रही है और केंद्रीय बैंक इससे उबरने के लिए लगातार मौद्रिक नीति में नरमी ला रहे हैं। हालांकि यह कोई मंदी नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूएस फेड के ब्याज दर घटाने के फैसले से विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है।

दास ने उम्मीद जतायी कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में कटौती से देश में कोष प्रवाह को गति मिलेगी लेकिन ऐसे पूंजी प्रवाह को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि सब्सिडी की कम मात्रा को देखते हुए सऊदी संकट का मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे पर केवल सीमित प्रभाव होगा।

उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में दो तेल प्रतिष्ठानों पर ड्रोन के हमलों से कच्चे तेल के दाम में अच्छी-खासी वृद्धि देखी गयी है। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 83 प्रतिशत आयात करता है। इराक के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के मसले पर दास ने  कहा कि हाल में क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई पर खास असर नहीं पड़ेगा। 

नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश अभी भी है

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विकास को गति देने के लिए दर में आगे कटौती की गुंजाइश बनी हुई है और आगे एक साल तक महंगाई के लक्ष्य के नीचे स्थिर रहने की संभावना है। आरबीआई इस साल चार बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है।    अभी तक रेपो दर में 110 आधार अंकों यानी 1.10 फीसदी की कमी कर चुका है।

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