विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव खत्म करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंची रोहित वेमुला की मां
सुप्रीम कोर्ट रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मांओं की विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। वेमुला और तड़वी ने इस समस्या के कारण ही आत्महत्या कर ली थी। वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी का छात्र था तो तड़वी महाराष्ट्र में मेडिकल की छात्रा थी। जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस अजय रस्तोगी ने इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किए और जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया। इन दोनों मांओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत से कहा कि इस बारे में यूजीसी गाइडलाइंस हैं लेकिन उन्हें लागू ही नहीं किया गया है।
याचिका में मांग की गई है कि मूल अधिकार, खासकर समानता का अधिकार और जीवन के अधिकार को अमल में लाया जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में होने वाली ये भेदभाव करने वाली घटनाएं संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करने को प्रदर्शित करती हैं। याचिका में सभी उच्च संस्थानों में समान अवसर सेल के गठन की मांग की गई है जो ऐसी भेदभाव की शिकायतों की जांच कर सके।
जयसिंह ने अदालत को बताया कि साल 2004 के बाद से ऐसी 20 घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें छात्रों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया और इनके पर्याप्त दस्तावेज मौजूद हैं।