प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने सतीश यूकी की याचिका पर यह आदेश दिया।
न्यायालय ने इस मामले में 23 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि फड़णवीस द्वारा 2014 में चुनाव के समय हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने की ‘भूल चूक’ के बारे में निचली अदालत निर्णय ले सकती है।
क्या है पूरा मामला
वकील सतीश यूकी ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने नामांकन दाखिल करते समय जानकारियां छिपाई थीं। यूकी ने याचिका में आरोप लगाया था कि फडणवीस ने नागपुर जिला न्यायालय में अपने खिलाफ चल रहे दो आपराधिक मामलों के लंबित होने की जानकारी छिपाई थी।
यूकी ने दलील दी थी कि ऐसा करके फडणवीस ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 125ए का उल्लंघन किया है। इस मामले को लेकर निचली अदालत और बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा था कि पहली नजर में फडणवीस के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। यूकी की दलील थी कि प्रत्याशी के लिए सभी आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य होता है।