अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख एक दिन कम की, अब 17 अक्टूबर तक पूरी करनी होगी बहस
मुस्लिम पक्ष की अधिक समय की मांग पर सीजेआई कह चुके हैं कि हमें मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि सुनवाई 18 अक्तूबर तक खत्म हो जाए। जरूरत पड़ी तो हम एक घंटे रोजाना सुनवाई की अवधि बढ़ा सकते हैं। जरूरत पड़ी तो शनिवार को भी सुनवाई की जा सकती है। हालांकि, अब सुनवाई की तारीख एक दिन कम कर दी गई है।
मध्यस्थता नहीं चाहता एक पक्ष
इससे पहले सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता पैनल को दो मुस्लिम पक्षों के अनुरोध पर भूमि विवाद को समझौते के जरिए निपटाने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने की अनुमति दी थी। हालांकि अदालत ने यह भी साफ कर दिया है कि यह एक समानांतर प्रक्रिया होगी और पीठ अपनी सुनवाई को जारी रखेगी।
मामले के एक पक्षकार राम लला विराजमान ने अदालत से कहा कि वह इस मामले में किसी भी तरह की मध्यस्थता नहीं चाहते हैं। वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथ ने यह बात न्यायालय के पांच जजों की पीठ को बताई।
संविधान पीठ के अन्य सदसयों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। अब अदालत ने एक बार फिर दोहराया है कि सभी पक्ष अपनी दलीलें 17 अक्तूबर तक समाप्त कर लें।
क्या है विवाद
2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था। जिसके खिलाफ शीर्ष अदालत मे 14 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। अदालत ने 2.77 अकड़ की भूमि को तीन पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बांट दिया था। पिछले महीने सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथ ने कहा था कि भगवान राम के जन्मस्थान पर संयुक्त कब्जा नहीं हो सकता क्योंकि जन्मस्थान स्वयं देवता हैं। उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि संयुक्त कब्जे से देवता का विभाजन होगा जो संभव नहीं है।