हरियाणा विधानसभा चुनाव: भाजपा के लिए जाटलैंड का चक्रव्यूह भेदना बड़ी चुनौती
खास बातें
- जाटलैंड की करीब 30 सीटों पर बड़े दिग्गजों को भी कड़ी चुनौती
- उत्तर, दक्षिण हरियाणा की तुलना में यहां मिल रही कड़ी टक्कर
- किसी सीट पर जेजेपी से तो किसी पर कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबला
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाटलैंड की सीटों पर विपक्षी चक्रव्यूह को भेदना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। उत्तर और दक्षिण हरियाणा की तुलना में जाटलैंड की करीब 30 सीटों पर पार्टी के बड़े दिग्गजों को भी कड़ी चुनौती मिल रही है। पार्टी पिछले विधानसभा और हाल के लोकसभा चुनाव में भी जाटलैंड से जुड़ी सीटों पर विपक्ष का सियासी तिलिस्म नहीं तोड़ पाई थी। पिछले चुनाव में जाटलैंड की 30 में से 10 सीट जीतने वाली भाजपा को इस बार भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जाट बिरादरी के दो कद्दावर मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष से जुड़ी नारनौंद, बादली और टोहाना के अलावा गढ़ी सांपला, किलोई, बेरी, महम जैसी कई सीटों पर पार्टी उम्मीदवार आमने-सामने के मुकाबले में फंसे हैं।
यहां किसी सीट पर जेजेपी से तो किसी पर कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबला है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ करने के बावजूद इनमें से कई विधानसभा सीटों पर भाजपा बढ़त बनाने में नाकाम रही थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को उत्तर हरियाणा की 31 में से 22, दक्षिण हरियाणा की 29 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। खासतौर पर उत्तर हरियाणा में मिली बड़ी सफलता के कारण पार्टी राज्य में पहली बार बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रही थी। इस बार जाटलैंड की पुंडरी, गुहला, चरखी दादरी और महम सीट पर भाजपा उम्मीदवार को बागियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
यहां किसी सीट पर जेजेपी से तो किसी पर कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबला है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ करने के बावजूद इनमें से कई विधानसभा सीटों पर भाजपा बढ़त बनाने में नाकाम रही थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को उत्तर हरियाणा की 31 में से 22, दक्षिण हरियाणा की 29 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। खासतौर पर उत्तर हरियाणा में मिली बड़ी सफलता के कारण पार्टी राज्य में पहली बार बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रही थी। इस बार जाटलैंड की पुंडरी, गुहला, चरखी दादरी और महम सीट पर भाजपा उम्मीदवार को बागियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रवाद के मुद्दे, पीएम मोदी से उम्मीदें
पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि पार्टी को जाटलैंड में चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। हालांकि उनका यह भी दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों और अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मुद्दे के आगे आने के बाद स्थिति में बदलाव आ रहा है।