अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी नजदीक, आज सुनवाई का अंतिम दिन - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी नजदीक, आज सुनवाई का अंतिम दिन

अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी नजदीक, आज सुनवाई का अंतिम दिन

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : bharat rajneeti
अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी नजदीक आती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई का बुधवार को आखिरी दिन है।  मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई स्पष्ट कर चुके हैं कि बुधवार को मामले की सुनवाई का 40वां और आखिरी दिन है। कल एक घंटा मुस्लिम पक्षकार जवाब देंगे। चार पक्षकारों को 45-45 मिनट मिलेंगे। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी बुधवार को ही सुनवाई हो सकती है। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर चल रही सुनवाई के आखिरी चरण में हिंदू पक्ष ने मंगलवार को अपनी दलीलें पेश कीं। सर्वोच्च अदालत में विवाद पर अपना पक्ष रखते हुए हिंदू पक्ष की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने कहा कि मुगल शासक बाबर ने अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर मस्जिद बनाकर ऐतिहासिक भूल की थी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के सामने परासरन ने कहा कि अयोध्या में बहुत सी मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम के जन्मस्थान को नहीं बदल सकते। 

सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य के वाद में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से बहस करते हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मुगल शासक बाबर ने भारत पर जीत हासिल की। उन्होंने खुद को कानून से ऊपर रखते हुए भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करके ऐतिहासिक भूल की। 

मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जज एस ए बोबडे, जज धनन्जय वाई चंद्रचूड़, जज अशोक भूषण और जज एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। पीठ ने परासरन से कई सवाल पूछे। उनसे परिसीमा के कानून, विपरी कब्जे के सिद्धांत और 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किए जाने से जुड़े कई सवाल किए। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या मुस्लिम अयोध्या में कथित मस्जिद छह दिसंबर, 1992 को ढहाए जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं? पीठ ने परासरन से कहा, 'वे कहते हैं, एक बार मस्जिद है तो हमेशा ही मस्जिद है, क्या आप इसका समर्थन करते हैं?'

इस पर परासरन ने जवाब दिया, 'नहीं। मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं कहूंगा कि एक बार मंदिर है तो हमेशा मंदिर ही रहेगा।' परासरन पर सवालों की बौछार करने के बाद सीजेआई जस्टिस गोगोई ने मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन से पूछा कि क्या हमने हिंदू पक्ष से पर्याप्त सवाल पूछ लिए हैं?

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