चेतावनी : इस बार ही नहीं हर साल मचेगी यूपी-बिहार में बाढ़ से तबाही, ये है वजह
मानसूनी सीजन बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के कई राज्यों में भारी बारिश के कारण मच रही तबाही और जनजीवन के अस्त-व्यस्त होने का ठीकरा पर्यावरण विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन से भी ज्यादा अनियोजित विकास पर फोड़ रहे हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी देने वाले अंदाज में कहा है कि यदि अब भी अनियोजित तरीके से हो रहा भवन निर्माण नहीं रोका गया तो इस साल ही नहीं हर साल बारिश और बाढ़ इसी तरह सैकड़ों जान लेती रहेंगी। बता दें कि, पिछले एक सप्ताह में ही यूपी और बिहार में करीब 150 लोगों की जान बारिश के कारण हुए हादसों में जा चुकी है। यूपी में करीब 93 और बिहार में 42 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस साल मानसूनी सीजन के दौरान बारिश से हुए हादसों से देश में करीब 1700 लोगों की मौत हुई है। इनमें से अधिकतर मौत कमजोर भवनों के गिरने से हुए हादसों या जलभराव के कारण हुई है।
विशेषज्ञ इस अनियमित बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को जिम्मेदार मानते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना आवश्यक है, लेकिन हादसे कम करने के लिए अनियोजित भवन निर्माण पर भी रोक लगानी होगी। अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पैनल (आईपीसीसी) के वैज्ञानिकों का मानना है कि वैश्विक ओर स्थानीय तापमान में बढ़ोतरी बारिश से जुड़ी विसंगतियों में अहम योगदान दे रहे हैं। आईपीसीसी की समुद्रों और ग्लेशियरों पर पेश विशेष रिपोर्ट के सह लेखक रॉक्सी मैथ्यू का कहना है कि, अनियोजित विकास के कारण ही बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहले से ही लगातार भारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
विशेषज्ञ इस अनियमित बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को जिम्मेदार मानते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना आवश्यक है, लेकिन हादसे कम करने के लिए अनियोजित भवन निर्माण पर भी रोक लगानी होगी। अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पैनल (आईपीसीसी) के वैज्ञानिकों का मानना है कि वैश्विक ओर स्थानीय तापमान में बढ़ोतरी बारिश से जुड़ी विसंगतियों में अहम योगदान दे रहे हैं। आईपीसीसी की समुद्रों और ग्लेशियरों पर पेश विशेष रिपोर्ट के सह लेखक रॉक्सी मैथ्यू का कहना है कि, अनियोजित विकास के कारण ही बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहले से ही लगातार भारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
बिहार में मृतकों की संख्या 42 पहुंची
बिहार में केंद्र सरकार की तरफ से बड़े पैमाने पर राहत अभियान शुरू किए जाने के बावजूद बारिश और बाढ़ के कारण हो रहे हादसों से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अधिकारियों का कहना है कि राज्य में बारिश से जुड़े हादसों में मरने वालों की संख्या 42 पहुंच गई है।
हालांकि राज्य में विभिन्न स्थानों पर लगाए गए उच्च क्षमता के वाटर पंपों की मदद से जलभराव में आ रही कमी और एनडीआरएफ की तरफ से चलाए जा रहे बचाव व राहत अभियान के चलते जनजीवन थोड़ा ढर्रे पर लौटता दिखाई दे रहा है। पटना में मंगलवार देर रात तक खुद घुटनों तक पाजामा चढ़ाकर बारिश के पानी में घूमते हुए राहत कार्यों का निरीक्षण कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।
राज्य सरकार की तरफ से जारी लिखित बयान के मुताबिक, बारिश के चलते तकरीबन 17.09 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी राज्य की राजधानी पटना में हुई है, जहां पिछले शुक्रवार से सोमवार तक हुई भारी बारिश के दौरान 342.5 मिलीमीटर पानी दर्ज किया गया। इसके विपरीत राज्य में बारिश का औसत 255 मिलीमीटर रहा।
हालांकि राज्य में विभिन्न स्थानों पर लगाए गए उच्च क्षमता के वाटर पंपों की मदद से जलभराव में आ रही कमी और एनडीआरएफ की तरफ से चलाए जा रहे बचाव व राहत अभियान के चलते जनजीवन थोड़ा ढर्रे पर लौटता दिखाई दे रहा है। पटना में मंगलवार देर रात तक खुद घुटनों तक पाजामा चढ़ाकर बारिश के पानी में घूमते हुए राहत कार्यों का निरीक्षण कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।
राज्य सरकार की तरफ से जारी लिखित बयान के मुताबिक, बारिश के चलते तकरीबन 17.09 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी राज्य की राजधानी पटना में हुई है, जहां पिछले शुक्रवार से सोमवार तक हुई भारी बारिश के दौरान 342.5 मिलीमीटर पानी दर्ज किया गया। इसके विपरीत राज्य में बारिश का औसत 255 मिलीमीटर रहा।
पूर्वानुमानों के विपरीत परिणाम के बाद मंथन में जुटा मौसम विभाग
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और निजी एजेंसी स्काईमेट की तरफ से जताए गए सामान्य से कम मानसूनी बारिश के पूर्वानुमान एक महीना ज्यादा तक चले सीजन में बुरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। पूर्वानुमान के विपरीत सामान्य से ज्यादा बारिश होने के बाद आईएमडी ने इस पर मंथन करना शुरू कर दिया है।
आईएमडी के आला अधिकारियों का कहना है कि विभाग इस बार आए परिणामों का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद कारणों का पता लगाने की कोशिश करेगा। बता दें कि अप्रैल में आईएमडी ने करीब 96 फीसदी लांग पीरियड एवरेज (एलपीए) और स्काईमेट ने 93 फीसदी एलपीए के हिसाब से मानसूनी सीजन में बारिश का अनुमान लगाया था।
96 फीसदी एलपीए को सामान्य से नीचे मानसून का संकेत माना जाता है। लेकिन इसके उलट इस बार पिछले 50 साल की बारिश के औसत से 10 फीसदी ज्यादा पानी रिकॉर्ड किया गया है।
आईएमडी के आला अधिकारियों का कहना है कि विभाग इस बार आए परिणामों का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद कारणों का पता लगाने की कोशिश करेगा। बता दें कि अप्रैल में आईएमडी ने करीब 96 फीसदी लांग पीरियड एवरेज (एलपीए) और स्काईमेट ने 93 फीसदी एलपीए के हिसाब से मानसूनी सीजन में बारिश का अनुमान लगाया था।
96 फीसदी एलपीए को सामान्य से नीचे मानसून का संकेत माना जाता है। लेकिन इसके उलट इस बार पिछले 50 साल की बारिश के औसत से 10 फीसदी ज्यादा पानी रिकॉर्ड किया गया है।
गिरिराज सिंह ने अपने ही गठबंधन को दी माफी मांगने की नसीहत
अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले बेगूसराय के भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने बुधवार को अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को पटना वासियों से माफी मांगने की नसीहत दे दी। गिरिराज ने बाढ़ और जलभराव के लिए कहा, यह पटना वासियों की लापरवाही नहीं है। यह हमारी लापरवाही है। शहर की जनता ने एनडीए, खासतौर पर भाजपा में विश्वास जताया था।
हमारे ऊपर उनसे माफी मांगना बकाया है। गिरिराज केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री हैं और बिहार में भी इसी गठबंधन की सरकार है। इसके बावजूद गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि, बारिश को लेकर पहले से ही अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन प्रशासनिक मशीनरी में वह सतर्कता सुनिश्चित नहीं की जा सकी, जो संकट की गंभीरता को कम कर सकती थी। गिरिराज को नीतीश और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कटु आलोचक माना जाता है।
हमारे ऊपर उनसे माफी मांगना बकाया है। गिरिराज केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री हैं और बिहार में भी इसी गठबंधन की सरकार है। इसके बावजूद गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि, बारिश को लेकर पहले से ही अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन प्रशासनिक मशीनरी में वह सतर्कता सुनिश्चित नहीं की जा सकी, जो संकट की गंभीरता को कम कर सकती थी। गिरिराज को नीतीश और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कटु आलोचक माना जाता है।