केंद्र सरकार की पीएसयू नीति से नाराज आरएसएस का भारतीय मजदूर संगठन
भारतीय मजदूर संघ - फोटो : bharat rajneeti
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भले ही केंद्र की राजग सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा का थिंकटैंक माना जाता है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर संघ के अनुषांगिक संगठनों भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार को अमूमन निशाने पर ही रखा है। अब बीएमएस ने सरकारी उपक्रमों (पीएसयू) को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर नाराजगी जताई है। बीएमएस ने सरकारी उपक्रमों के निजीकरण की आशंका जताते हुए 15 नवंबर को विभिन्न कर्मचारी संघों की बैठक बुलाई है। बीएमएस ने कहा है कि इस बैठक में सभी यूनियनों के साथ बातचीत कर भावी रणनीति तैयार की जाएगी।
बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा, पीएसयू को लेकर वर्तमान सरकार की नीति ठीक नहीं है। उसकी नीतियों से यह आशंका उपज गई है कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले विभिन्न पीएसयू का निजीकरण करना चाहती है। इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में पीएसयू के लेकर बेहद खराब नीतिगत फैसले लिए गए थे, इन पर रोक लगाने की जरूरत है।
उपाध्याय ने कहा कि हम विभिन्न यूनियनों को लामबंद करने में जुटे हैं। 15 नवंबर की बैठक में सात क्षेत्रों के पीएसयू से जुड़े संघ हिस्सा लेंगे। बैठक के बाद भावी रणनीति तय की जाएगी। उपाध्याय ने सरकार से पीएसयू के निजीकरण के इरादे पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
मनाने में जुटी सरकार
बीएमएस की नाराजगी के बीच दो केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और पीयूष गोयल संघ के मुख्यालय गए। समझा जाता है कि यह सरकार की ओर से बीएमएस की नाराजगी दूर करने की पहल थी। गौरतलब है कि वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी संघ से जुड़े बीएमएस और स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक नीतियों के खिलाफ लगातार और सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी।