मां बोलीं- अभिजीत को गरीबी बचपन से करती थी परेशान, अर्थशास्त्र नहीं भौतिक विज्ञान में थी रुचि
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत बनर्जी - फोटो : bharat rajneeti
गरीबी पर शोध की वजह से अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत विनायक बनर्जी को बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी। कोलकाता के मशहूर साउथ प्वाइंट
स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे अपने घर के पास बने बस्ती के बच्चों के साथ ही खेलते थे। गरीबी के चलते बस्ती के बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति बचपन से ही अभिजीत के मन में कई सवालों को जन्म देती थी और वे अपने अर्थशास्त्री पिता डॉ. दीपक बनर्जी और अर्थशास्त्री मां डॉ. निर्मला बनर्जी से इस बारे में लगातार सवाल पूछते रहते थे। अभिजीत को नोबेल पुरस्कार मिलने का एलान होने के बाद से ही कोलकाता में उनके बालीगंज स्थित घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, प्रोफेसर अमर्त्य सेन और राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत सैकड़ों लोगों ने इसे बंगाल और पूरे देश के लिए गर्व बताते हुए अभिजीत को बधाई दी है।
दिल से पूरी तरह भारतीय
कोलकाता में रहने वाली अभिजीत की मां डॉ. निर्मला बनर्जी बताती हैं कि अभिजीत के स्कूल में रहने के दौरान हम जिस मकान में रहते थे वहां पास ही एक बस्ती थी। अभिजीत वहां के बच्चों के साथ सड़क पर खेलता था।
वह उसी समय उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति बारे में कई सवाल पूछता रहता था। उन्होंने बताया कि अभिजीत ने काफी बेमन से 2017 में अमेरिका की नागरिकता ली थी, लेकिन दिल से वह पूरी तरह भारतीय है।
सबसे खास बात यह है कि अभिजीत की पहली पसंद अर्थशास्त्र नहीं बल्कि भौतिक विज्ञान था। उसमें मन नहीं जमा तो उन्होंने सांख्यिकी लेकर पढ़ना शुरू किया। लेकिन कॉलेज और घर में काफी दूरी होने की वजह से उन्होंने आखिर में प्रेसीडेंसी कालेज में अर्थशास्त्र लेकर पढ़ने का फैसला किया। अभिजीत की मां बताती है कि अर्थशास्त्र के गूढ़ सिद्धांतों की बेहद सरल भाषा में व्याख्या करना उसकी खासियत है। अभिजीत सिद्धांतों के व्यावहारिक इस्तेमाल पर जोर देते रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था को बताया अस्थिर
इस बीच, अभिजीत ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर बताया है। उन्होंने कहा, जो आंकडे़ हैं, वे देश की अर्थव्यवस्था की हालत में जल्द सुधार का कोई आश्वासन नहीं देते हैं। अमेरिका में एक न्यूज चैनल के हवाले से अभिजीत ने कहा, बीते पांच-छह साल से अर्थव्यवस्था जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उससे भरोसा उठ चुका है।