महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव : राष्ट्रवाद के सामने गौण हो गए स्थानीय मुद्दे
महाराष्ट्र के लातूर में चुनावी रैली को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) - फोटो : एएनआई
खास बातें
- जाट आरक्षण, किसान, मराठा, भीमा-कोरेगांव मामला नहीं बन पाए अहम मुद्दे
- स्थानीय मुद्दों पर घिरने से बचने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही है भाजपा
- अनुच्छेद 370 और तीन तलाक को खत्म करने के फैसले की बार बार चर्चा
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दे प्रमुखता से जगह नहीं बना सके। दोनों ही राज्यों में स्थानीय मुद्दों से इतर राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दे की ज्यादा चर्चा हुई। भाजपा शुरू से ही स्थानीय मुद्दों पर घिरने से बचने के लिए राष्ट्रवाद, पीएम मोदी और केंद्र सरकार के कामकाज को केंद्र में लाने की जीतोड़ कोशिश कर रही थी। भाजपा के रणनीतिकारों के अनुसार दोनों राज्यों में अनुच्छेद-370 और तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने की सर्वाधिक चर्चा हुई। पीएम मोदी समेत सभी स्टार प्रचारकों ने राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर ही विपक्ष पर निशाना साधा। पूर्व सैनिकों का गढ़ होने के कारण हरियाणा में भाजपा को पहले ही इन मुद्दों की सफलता को लेकर संदेह नहीं था।
पार्टी ने पहले ही स्थानीय मुद्दों के इतर राष्ट्रवाद और केंद्रीय राजनीति से जुड़े मुद्दों को केंद्र में लाने की रणनीति बनाई थी। दरअसल पार्टी को पहले आशंका थी कि स्थानीय मुद्दों पर अगर जोर रहा तो हरियाणा में जाट आरक्षण तो महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव, किसान और मराठा आंदोलन जैसे मुद्दे हावी हो सकते हैं।
इसीलिए पार्टी ने शुरू से ही स्थानीय मुद्दों को गौण करने के लिए राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों को हवा दी। खासतौर पर पीएम मोदी, गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बार-बार अनुच्छेद 370 और तीन तलाक को खत्म करने के फैसले की बार बार चर्चा कर विपक्ष को चुनौती दी।
लोकसभा चुनाव में भी सफल रही थी रणनीति
पार्टी ने इस साल लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की रणनीति पीएम मोदी पर ही केंद्रित रही थी। पार्टी के सभी नारे पीएम मोदी के इर्दगिर्द ही थे। दूसरी ओर विपक्ष ने पीएम मोदी पर एकजुट हमला बोल कर चुनाव को मोदी केंद्रित करने में भूमिका निभाई थी।