मुख्यमंत्री योगी के आदेश के बाद भी यूपी में बदस्तूर जारी है चहेते को बचाने का ‘खेल’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- आईसीडीएस में संविदा पर तैनात कर्मियों को सेवा विस्तार देने का मामला
- मुख्यमंत्री ने दिया देर से प्रस्ताव भेजने वाले कर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश
- प्रस्ताव हस्ताक्षर करने वालों के बजाय दूसरे बाबू को कर दिया दंडित
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) में संविदा कर्मियों की सेवा अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव में देरी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दोषियों पर कार्रवाई के आदेश के बाद अपने चहेतों को बचाने का ‘खेल’ शुरू हो गया है। इस मामले में जिम्मेदार प्रधान सहायक और जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) पर कार्रवाई के बजाए ऐसे कर्मचारी को दंडित कर दिया गया, जिसकी प्रस्ताव में कोई भूमिका ही नहीं थी। आईसीडीएस में मुख्य सेविका व लिपिक संवर्ग के रिक्त 292 पदों पर कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवा अविधि बढ़ाने के लिए निदेशालय स्तर से 20 जुलाई को प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इस पर प्रधान सहायक अजय कुमार बाजपेई और डीपीओ कल्पना पांडेय ने हस्ताक्षर किए थे। शासन ने पत्रावली को मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा था। प्रस्ताव देर से भेजने पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री ने इसे तैयार करने वाले कर्मियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री के आदेश का हवाला देते हुए शासन ने निदेशक बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार को कार्रवाई करते हुए दोबारा प्रस्ताव भेजने को कहा था। इस आधार पर निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने प्रधान सहायक विशाल श्रीवास्तव को प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए दंडित कर दिया। शासन को इसकी जानकारी देते हुए संविदा कर्मियों की सेवा अवधि बढ़ाने संबंधी पूर्व के प्रस्ताव को फिर शासन को भेज दिया।
प्रस्ताव से संबंधित पत्रावली का परीक्षण किया गया तो पाया गया कि पत्रावली पर तो प्रधान सहायक अजय कुमार बाजपेई और डीपीओ कल्पना पांडेय ने हस्ताक्षर किए हैं और प्रतिकूल प्रविष्टि एक दूसरे प्रधान सहायक विशाल श्रीवास्तव को दे दी गई है।
इस विशेष सचिव गया प्रसाद (अब सेवानिवृत्त) ने 30 सितंबर को पुन: निदेशक को कल्पना पांडेय और अजय कुमार बाजपेई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ दोनों को मुख्यालय से अन्यत्र स्थानांतरित करने का प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। आदेश के पांच दिन बाद इस प्रस्ताव को शासन में नहीं भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार, दोनों दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
कई गड़बड़ियों में आ चुका है अजय का नाम
करीब 20 साल से मुख्यालय में तैनात अजय कुमार बाजपेई का नाम अनियमित तरीके से प्रोन्नति व एसीपी का लाभ लेने समेत ऐसे कई मामलों में एक दर्जन बाबुओं के साथ शामिल है। लेखा एवं आंतरिक लेखा परीक्षा की विशेष ऑडिट में भी उनकी नियुक्ति से लेकर अब तक मिली प्रोन्नति को अनियमित ठहराया गया है।
मुख्यमंत्री ने दिए थे समय से प्रस्ताव देने के निर्देश
बता दें कि इससे पहले भी 30 जुलाई 2018 को समाप्त हो चुके संविदा कर्मियों की सेवा अवधि को 1 अगस्त-2018 से 31 जुलाई 2019 तक बढ़ाने का प्रस्ताव 2 नवंबर 2018 को भेजा गया था। इस पर अनुमोदन देने के समय ही मुख्यमंत्री ने हिदायत दी थी कि भविष्य में सेवा अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव समय से भेजा जाए। इसके बाद भी प्रस्ताव भेजने में देरी की गई।