
पिछले साल अदालत ने 59,000 करोड़ के राफेल सौदे में हुई कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच वाली मांग को खारिज कर दिया था।
बता दें राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को दिए अपने फैसले में भारत की केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि इस फैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं और 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट के भारत के सौदे को चुनौती देने वाली जिन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, उनमें पूर्व मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की याचिकाएं शामिल थीं। सभी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से उसके पिछले साल के फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी।