
इसके बाद गृह मंत्री ने जबाव दिया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने सभी अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की थी। यह विधेयक संविधान के खिलाफ नहीं है। विपक्ष ने उन्हें बोलना नहीं दिया जिसपर उन्होंने कहा कि हमें पांच साल के लिए चुना है सुनना पड़ेगा। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।
गृह मंत्री ने कहा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों और जैनों के साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए यह विधेयक इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। साथ ही यह आरोप कि विधेयक मुस्लिमों के अधिकारों को छीन लेगा गलत है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, 'हमें इस विधेयक की आखिर जरूरत क्यों पड़ी? स्वतंत्रता के बाद यदि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन न किया होता तो आज हमें इस विधेयक को लाने की जरूरत नहीं पड़ती। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया था। विधेयक में मुस्लिम समुदाय का एक बार भी नाम नहीं है।'