अगर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता है तो भारत के व्यापार के साथ तेल आयात भी प्रभावित होगा। जिसके चलते भारत की चिंता भी काफी हद तक बढ़ गई है। आइए जानते हैं कैसे इन दो देशों के बीच होने वाले झगड़े का असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा।
विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है
सरकारी आंकड़ों मुताबिक भारत ने पिछले वित्त वर्ष में अपनी जरूरत के लिए 84 प्रतिशत कच्चा तेल ईरान से आयात किया था। इस प्रकार कुल आयात तेल के हर तीन में से दो बैरल तेल ईरान से आयात होता है। अगर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव इसी तरह बरकरार रहता है तो इसका सीधा असर तेल के दामों पर पड़ेगा।अमेरिका और ईरान का तनाव अगर युद्ध का रूप धारण कर लेता है तो तेल के दामों में अप्रत्याशित बढ़त होने की आशंका है, इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत बढ़ने और देश के बाहरी घाटे के बढ़ने की भी संभावना है। इसका परिणाम यह होगा कि देश की आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है और अर्थव्यस्था पर इसका खासा असर देखने को मिल सकता है।
बढ़ सकता है वित्तीय घाटा
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव जारी रहता है, तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। इसका परिणाम यह होगा कि भारत को तेल के लिए ज्यादा रकम चुकानी होगी, जिससे सरकार के वित्तीय घाटा और भी बढ़ सकता है। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत पहले ही ईरानी बैरल का विकल्प ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहा है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।देश में तेल की हो सकती है कमी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष में लगभग 10 प्रतिशत तेल खाड़ी देशों से आयात किया। जब ईरान ने अमेरिकी ड्रोन मार गिराए और ईरान की खाड़ी के पास टैंकरों पर हुए हमले से दोनों मुल्कों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया, जिसके चलते जून के मध्य में ब्रेंट क्रूड की कीमत काफी कम थी, लेकिन वर्तमान में इसकी कीमतों में आठ प्रतिशत तक उछाल देखने को मिला है।वर्तमान में भारत के पास आपातकाल की स्थिति में प्रयोग करने के लिए रिजर्व के तौर पर केवल 3.91 करोड़ बैरल तेल मौजूद है, जो सिर्फ 9.5 दिन ही चल सकता है। अगर इसकी तुलना अन्य देशों से करें तो पता चलता है कि चीन के पास लगभग 55 करोड़ बैरल के भंडार होने का अनुमान है, जबकि अमेरिका के पास 64.5 करोड़ बैरल तेल मौजदू हैं।
देश में बढ़ सकती है महंगाई
अगर देश में तेल की कमी होती है तो इसका सीधा असर देश के हर नागरिक पर होगा। तेल की कमी होने से इसकी मौजूदा कीमतों में बढ़ोतरी होगी। जिसका परिणाम यह होगा है कि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें भी तेजी से बढ़ेंगी, जिसके चलते देश में महंगाई बढ़ जाएगी।कुछ समय तक एशिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली भारत की अर्थव्यवस्था में पिछले तीन महीने में कमी देखी गई है। वहीं, देश में महंगाई दर भी बढ़ रही है। देश बेरोजगारी के बढ़ते स्तर से जूझ रहा है और देश के बैंकिंग सिस्टम की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ऐसे में तेल की कमी से महंगाई और बढ़ सकती है।