दरअसल, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा. चीन ने यह प्रस्ताव पाकिस्तान की अपील पर रखा था, जिसके लिए 24 दिसंबर, 2019 की तारीख तय की गई थी, लेकिन तब मीटिंग नहीं हो पाई थी.
चीन ने कश्मीर मामला यूएनएससी की मीटिंग के दौरान उठाया, जिसका स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है. रूस की तरफ से द्विपक्षीय स्तर पर मामला सुझलाने का सुझाव दमित्री पोलिंस्की ने दिया है. पोलिंस्की UNSC में रूस के पहले स्थायी प्रतिनिधि हैं.
चीन के अनुरोध के बावजूद फ्रांस ने इस मुद्दे पर अपनी पहले की स्थिति को दोहराया, जिसमें उसका कहना है कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान की ओर से द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना चाहिए. इससे पहले विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा था कि वे यूएनएससी के घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और अगर चीन, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा चलाता है तो इससे निपटने के लिए वे तैयार हैं.