करोड़ों रुपए एडवांस लेने के बाद ग्रामीण कार्य विभाग के तीन दर्जन से अधिक कनीय अभियंता लापता हो गए हैं। अब विभाग ऐसे इंजीनियरों का पता खोज रहा है। संबंधित अंचल को कहा गया है कि वे ऐसे अभियंताओं का स्थायी पत्राचार पता अविलंब मुहैया कराएं ताकि उनसे राशि का समायोजन या वसूली की जा सके।
ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख अशोक कुमार मिश्रा ने इस बाबत संबंधित कार्य अंचलों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि विभाग के 38 कनीय अभियंताओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना-एनआरईपी के तहत अग्रिम राशि की निकासी कर ली। कुल राशि 7 करोड़ 94 लाख थी। लेकिन कनीय अभियंताओं ने इन पैसे का हिसाब नहीं दिया।
इसी बीच कई अभियंता सेवानिवृत्त हो गए तो कुछ इस दुनिया को छोड़ चुके हैं। जानकारी के अनुसार 38 कनीय अभियंताओं में 20 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि 15 अभी कार्यरत हैं। दो की मौत हो चुकी है जबकि एक छापेमार एजेंसी की दबिश में धरा चुके हैं। विभाग ने कहा है कि इन अभियंताओं का स्थायी पता, पत्राचार का पता और दूरभाष संख्या अविलंब मुख्यालय को उपलब्ध कराएं।
इन अभियंताओं का खोजा जा रहा है पता
विभाग जिन कनीय अभियंताओं का पता खोज रहा है, उनमें अरुण कुमार व विजय कुमार की मौत हो चुकी है। जबकि इंद्रदेव प्रसाद, घनश्याम दास, श्रीकांत प्रसाद, सुभाष चंद्र सिंह, रवीन्द्र कुमार सिंह, प्रभुजी साह, कैशर अली, कुंवर रवीन्द्र प्रसाद सिंह, नेशार अहमद, उमेश प्रसाद सिंह, फेराजुल हक, सिराज अहमद, कृष्ण देव प्रसाद, दिलीप कुमार, राजेन्द्र कुमार, विरेन्द्र कुमार मिश्रा, अनिल कुमार सिंह, तौकिर अहमद, रामस्वार्थ साह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि नवलेश प्रसाद सिंह छापेमार एजेंसी की गिरफ्त में हैं। विभाग में कार्यरत कनीय अभियंताओं में नंदकिशोर शर्मा, अरविन्द कुमार, छोटू प्रसाद, शंभूनाथ केसरी, विजय प्रताप सिंह, इंद्रदेव यादव, प्रमोद कुमार, व्यासमुनी राम, छोटू प्रसाद, प्रमोद कुमार विद्यार्थी, महेश रजक, कमल नारायण शर्मा व सदाब अनवर अभी कार्यरत हैं।
अधिकारियों के अनुसार इन कनीय अभियंताओं ने अगर एनआरईपी में ली गई अग्रिम राशि का समायोजन नहीं किया तो उनसे वसूली की जाएगी। कार्यरत अभियंताओं से वेतन मद से जबकि सेवानिवृत्त अभियंताओं से पेंशन मद से यह राशि वसूली होगी। वहीं जिनकी मौत हो चुकी है, सरकार उनके पारिवारिक पेंशन मद से इस राशि की वसूली करेगी। योजना एवं विकास विभाग के अनुरोध पर ग्रामीण कार्य विभाग ने यह कवायद शुरू की है। 38 कनीय अभियंताओं में सबसे कम राशि आठ हजार कृष्ण देव प्रसाद के नाम पर है जबकि सबसे अधिक राशि एक करोड़ उमेश प्रसाद सिंह के नाम पर है।