Chehre movie Review: दमदार अभिनय, भारी भरकम डायलॉग, फिर भी कमजोर पड़ जाती है अमिताभ बच्चन की ‘चेहरे’ - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 31 अगस्त 2021

Chehre movie Review: दमदार अभिनय, भारी भरकम डायलॉग, फिर भी कमजोर पड़ जाती है अमिताभ बच्चन की ‘चेहरे’


फिल्म: चेहरे
निर्देशक: रूमी जाफरी
कलाकार: अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, अन्नू कपूर, रघुबीर यादव, रिया चक्रवर्ती और क्रिस्टल डिसूजा

‘बेलबॉटम’ के बाद एक और बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म ‘चेहरे’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ इमरान हाशमी, अन्नू कपूर और रिया चक्रवर्ती की मुख्य भूमिका है। स्क्रिप्ट में भले ही यह फिल्म अच्छी लग सकती है लेकिन जब यह पर्दे पर उतरी तो निराश करती नजर आती है। रूमी जाफरी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘चेहरे’ खराब लेखन की शिकार हुई है। फिल्म के कलाकारों ने शुरुआत अच्छी की है लेकिन जल्द ही कहानी से लेकर अभिनय तक बेअसर साबित होते हैं।

कलाकारों की भूमिका

दिल्ली के रहने वाले एड एजेंसी प्रमुख समीर मेहरा (इमरान हाशमी) एक तूफान में फंस जाते हैं। चार रिटायर्ड कोर्ट के अधिकारी उन्हें सुनसान घर में रात को आमंत्रित करते हैं। अमिताभ बच्चन एक सनकी सरकारी वकील लतीफ जैदी के किरदार में हैं। अनु कपूर बचाव पक्ष के वकील परमजीत सिंह, धृतमान चटर्जी जज जगदीश आचार्य और रघुबीर यादव अति उत्साही प्रॉसिक्यूटर हरिया जाटव की भूमिका में हैं।

क्या है कहानी

चारों किरदार मिलकर क्रिमिनल केस का मॉक ट्रायल करते हैं जिसे वे ‘असली खेल’ कहते हैं, जहां इंसाफ नहीं केवल फैसला होता है। यह करीब 2 घंटे और 20 मिनट तक चलता है। समीर पर अपने बॉस के हत्या का मुकदमा चलता है। कहने को तो ‘चेहरे’ एक थ्रिलर फिल्म है लेकिन यह रोमांच पैदा करने में विफल रहती है। फिल्म को कई ट्विस्ट के साथ शूट तो किया गया है लेकिन जो चीजें होने वाली होती हैं उनके बारे में पहले ही अंदाजा हो जाता है। लेखक रंजीत कपूर की कहानी में कई जगह तालमेल की भारी कमी दिखती है। जब कहानी रोमांचक लगने लगती है तो वह इतनी खींच जाती है कि अपनी गति खो देती है। एडिटिंग और टाइट बनाकर फिल्म को छोटा किया जा सकता था।

भारी भरकम डायलॉग

भारी-भरकम डायलॉग रूमी और रंजीत ने मिलकर लिखे हैं। बहुत ज्यादा शायरी भी सुनने को मिलता है। हालांकि कई वन लाइनर हंसाने में कामयाब रहते हैं। अमिताभ बच्चन का सात मिनट लंबा मोनालॉग है। वह निर्भया रेप केस, एसिड अटैक पीड़ितों की दुर्दशा, उरी सर्जिकल अटैक और भारत-पाक तनाव पर बोलते हैं, जो कि बहुत ऊपरी तौर पर लगता है।

क्यों देखें फिल्म

‘चेहरे’ को कोर्टरूम ड्रामा थ्रिलर फिल्म नहीं कह जा सकता है। हां यह जरूर है कि रूमी जाफरी ने अपने कंफर्ट जोन से हटकर जरूर कुछ करने की कोशिश की है। अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी के फैन हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं।

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