वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया फोर लेन पर इमिलिया घाट पुल के पास सड़क पर दरारें पड़ने, धंसने की खबर के बाद अब सेतु निगम अपनी लापरवाहियों पर पैबंद लगाने की कोशिश में जुट गया।
शुक्रवार की देर रात से यह खबर लाइव वीएनएस के जरिए सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शनिवार की सुबह सेतु निगम के अफसरों के कुछ मातहत इमिलिया घाट पहुंचे। ट्रैक्टरों से गिट्टियां, मिट्टियां और बालू लेकर मजदूर भी पहुंच गए। मजदूरों के जरिए दो से पांच ईंच मोटी और करीब दस फीट गहरी दरारों और वरूणा के किनारे के हिस्सों की ओर धंस रहे पटरी के हिस्सों पर मिट्टी और बालू डालने का काम शुरू हो गया। इसके साथ ही तमाम चैनलों, सोशल मीडिया और अखबरों के रिपोर्टर इमिलिया घाट पहुंचने शुरू हो गये। कुछ मीडिया के लोग उन दरारों को देख पाए और कुछ दरारों को बालू से भरे जाने के बाद पहुंचे। शाम चार बजे तक सेतु निगम लापरवाहियों पर पैबंद लगाने में जुटा रहा। लेकिन अभी तक इस लापरवाही पर किसी की जिम्मेदारी तय नही हो सकी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री अपने वाराणसी दौरे के दौरान फुलवरिया फोर लेन की प्रगति की जानकारी लेते रहे हैं। विपक्षी दलों की सरकारों के दौरान फुलवरिया मार्ग को बनाने में तमाम अड़चनें आती रही और सेना के जमीन अधीग्रहण जैसी दिक्कतों के कारण यह कार्य नही हो पा रहा था। तब पीएम की पहल पर केंद्र और राज्य सरकार ने समन्वय स्थापित कर इस योजना को अमलीजामा पहनाया। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फुलवरिया फोर लेन के कार्य में प्रगति की रिपोर्ट लेते रहे। अभी चार अगस्त की रात मुख्यमंत्री ने लहरतारा चौराहे के पास खुद आकर फुलवरिया फोर लेन की प्रगति का निरीक्षण किया था। इससे पहले भी वह इसका निरीक्षण कर चुके हैं।

लगातार समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री सेतु निगम के अधिकरियों को गुणवत्ता का ध्यान रखने और किसी तरह की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते रहे। इसके बाद भी इमिलिया घाट पर लापरवाही सामने आ गई। पिछले 25 जुलाई को कमिश्नर ने फुलवरिया फोर लेन निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। इसमें रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी नही पहुंचे थे। तब मुख्यमंत्री ने इसका सज्ञान लेते हुए उस अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया था।
मिट्टी का बहाव रोकने को नही लगाए गए थे बोल्डर
वाराणसी। कहा जाता है कि सेतु निगम को पुलों और सड़कों को बनाने में महारत हासिल है। इनके पास इंजीनियर से लगायत तमाम तकनीकी विशेषज्ञों की फौज है। फुलवरिया फोर लेन निर्माण के दौरान इमिलिया घाट (वरूणा नदी) पर पुल बनाते समय सड़क के दोनों किनारों पर मिट्टी का बहाव रोकने के लिए बोल्डर या सीमेंट की दीवार लगानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नही किया गया।
अफसरों को यह भी पता होगा कि हर साल की तरह इस बार भी बारिश आएगी और वरूणा में बाढ़ भी। ऐसे में मिट्टी का बहाव हो सकता है जिसका असर उनकी परियोजना पर पड़ेगा। जिस परियोजना के प्रति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री गंभीर हों उसमें अधिकारी कितने गंभीर है यह इमिलिया घाट की सड़क बता रही है। विभाग ने अपनी कमी पर पर्दा डालने के लिए मिट्टी, गिट्टी और बालू तो डालकर उसे ढकने की कोशिश की। लेकिन बाढ़ अनुमान केंद्र के मुताबिक अभी 30 अगस्त को गंगा और वरूणा का जलस्तर बढ़ेगा। यदि बाढ़ का पानी और ज्यादा हुआ तो क्या यह पैबंद सड़क को दरकने और ढहने से रोक पाएगी ?