BJP का नया नारा(Salogan): पहले का युग दलाली का, मोदी का युग ईमानदारी का... और सामने 2019

पहले का युग दलाली का था। आजादी के बाद से 2014 तक सत्ता के गलियारे में दलाल घूमते थे। 2014 के बाद देश को ईमानदार, कर्मठ, नया भारत बनाने वाला, 18 घंटे काम करने वाला, लोकशाही, संस्कार और तंत्र, संस्था को व्यक्ति से मानने वाला प्रधान सेवक मिला है। पीएम मोदी ने भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में लोकसभा चुनाव 2019 फतह करने के लिए यही मंत्र दिया है।
देश के कोने-कोने से आए भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं को वह संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने अपने सरकार की उपलब्धियां गिनाई और एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विकास एजेंडे पर चलने का मंत्र दिया। उन्होंने उद्घोष भरी आवाज में कहा कि 4.5 साल में उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे का जिक्र किए बिना प्रधानमंत्री ने ऐसे तमाम मामलों को अटकाने का ठीकरा कांग्रेस के वकीलों पर फोड़ दिया। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने, सीवीसी, सीबीआई, सीएजी, सेना जैसी तमाम संस्थाओं को कमजोर करने उन्हें गलत बताने का ठीकरा भी कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर फोड़ा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्हें कैसे और कितना परेशान किया गया, लेकिन वह संघ और भाजपा के संगठन की पैदाइश हैं। सब सहन कर गए और सीबीआई व अन्य एजेंसियों का राज्य में प्रवेश बंद नहीं किया, लेकिन तंत्र और एजेंसी में आस्था न रखने वाली सरकारों ने अपने राज्य में सीबीआई का प्रवेश बंद करा दिया है।
राहुल और कांग्रेस पर बरसे, किसानों के प्रति जताई चिंता
प्रधानमंत्री के डेढ़ घंटे के भाषण में किसानों की नाराजगी का असर साफ दिखा। वह करीब 7 मिनट किसानों पर बोले। किसान के लिए कांग्रेसी नीति पर हमला किया और खुद की सरकार को दूरदर्शिता बनाए रखते हुए राष्ट्रहित, किसान हित में कड़े फैसले लेने वाली बताया। प्रधानमंत्री बिजली, सड़क, सिंचाई, उज्जवला, जनधन योजना, आयुष्मान भारत, गरीबों को आवास सब विषय पर बोले। अपनी सरकार के सबका साथ, सबका विकास के नारे को जीवंत बनाए रखा। लेकिन इतना समय किसी अन्य सामाजिक मुद्दे से जुड़े विषय पर नहीं दिया।
प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने अपने भाषण में एहसास कराया कि प्रधानसेवक के लिए दो ही दावेदार हैं। एक वह हैं और एक राहुल गांधी। उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन में आए जन सैलाब से पूछा कि उसे कैसा प्रधानसेवक चाहिए। वैसा सेवक जो घर का पैसा चोरी करे और अपने परिवार, रिश्तेदारों को दे। पड़ोसी को घर की बातें बताए।
घर में समस्या हो तो 2-3 महीने के लिए छुट्टी पर चला जाए और पता भी न चले कि कहां गया? आप तय करिए कि क्या देश को ऐसा प्रधानसेवक चाहिए। प्रधानमंत्री का यह इशारा सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ था।
कांग्रेस की संस्कृति भ्रष्टाचार की
कांग्रेस की संस्कृति भ्रष्टाचार की है। नेशनल हेराल्ड मामले से लेकर प्रधानमंत्री ने यूरिया, चीनी घोटाला समेत सबका उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बैंकों से लोन दिलाने में कांग्रेस नेताओं की भूमिका भी बताई और विदेशी बिचौलियों को भगाने के लिए नेताओं द्वारा हवाई अड्डे हवाई जहाज तैयार रखने का हवाला दिया। प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के सभी नेता जमानत पर हैं।
गठबंधन और महागठबंधन केवल सत्ता के लिए
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में गठबंधन-महागठबंधन का भी उल्लेख किया। इस गठबंधन-महागठबंधन को अवसरवादी, सत्ता के लिए और केवल प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाने, हराने के लिए बना बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि तेलंगाना में भी महागठबंधन बना था, क्या हश्र हुआ।
उन्होंने कहा कि गठबंधन करने वाले ये दल कांग्रेस के विरोध की राजनीति पर बने थे। इन्होंने मजबूत कांग्रेस को हराने के लिए आवाज उठाई थी, एकजुट हुए थे। आज कांग्रेस रसातल में चली गई है। लेकिन उस कांग्रेस के सामने सरेंडर करके एक व्यक्ति(मोदी) के विरोध विरोध के लिए एकजुट हो रहे हैं।
राफेल, रोजगार पर नहीं बोले पीएम
प्रधानमंत्री अपने संबोधन में राफेल लड़ाकू विमान सौदे के मुद्दे पर बस एक लाइन ही बोले। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति(राहुल गांधी) समझना नहीं चाहता, उसे समझाने से कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कांग्रेस के लोगों का नाम हेलीकाप्टर घोटाले से लेकर लड़ाकू विमान तक में आने का जिक्र किया, लेकिन राफेल मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पार्टी आज भी इस मुद्दे पर पूरी आक्रमकता के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगा रही है।
राफेल के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने सरकार के विकास के कामकाज का तो जिक्र किया, किसान की समस्या पर भी बोले, लेकिन रोजगार के मुद्दे को नहीं छुआ। युवाओं से जुड़े मुद्दे पर उन्होंने बचने की कोशिश की। जबकि रोजगार के संकट को लेकर कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
मजबूर सरकार बनाम मजबूत सरकार
मजबूत सरकार और मजबूर सरकार पर प्रधानमंत्री मोदी ने काफी जोर दिया। गठबंधन और महागठबंधन से बनने वाली सरकारों को उन्होंने मजबूर सरकार कहा। कर्नाटक की जद(एस)-कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार का हवाला दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री कहते हैं कि वह सीएम जरूर हैं, लेकिन क्लर्क बना दिए गए हैं। इसके बहाने प्रधानमंत्री ने देश की जनता से प्रधानसेवक के रूप में उन्हें अवसर और देश को मजबूत सरकार देने की वकालत की।