Lok Sabha में विपक्ष के वाकआउट और हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन बिल पास

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी, जिस पर संसद की संयुक्त समिति ने विचार किया। सदन में सिंह ने बताया कि असम के छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने की मांग लंब समय से की जा रही थी।
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया था और समिति ने सिफारिश दे दी है । इस बारे में विचार विमर्श भी किया गया है।
अनुसूचित जनजाति में शामिल हुए कई समुदाय
यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इसके अनुरूप कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाना है।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।