मुलायम-कांशीराम के दौर में लौटी SP-BSP - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 12 जनवरी 2019

मुलायम-कांशीराम के दौर में लौटी SP-BSP

मुलायम-कांशीराम के दौर में लौटी SP-BSP, BJP को हराएगी

मुलायम और कांशीराम
मुलायम और कांशीराम 
मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जयश्री राम। यह नारा 90 के दशक में लगा था। तब सपा और बसपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। उसी दौर में लौटते हुए अखिलेश और मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए पहली बार साथ आकर इस बार भजापा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ी चुनौती दे दी है। कांग्रेस को गठबंधन के दायरे से रखते हुए मयावती और अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 38-38 पर लडने का संकल्प लेकर भाजपा को हराने की प्रतिबद्धता जताई है। बसपा प्रमुख ने कांग्रेस और बसपा को समान रूप से भ्रष्ट पार्टी बताया है। खास बात यह है कि घोषणा प्रधानमंत्री मोदी के भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अपना भाषण देने बस कुछ ही समय पहले हुई है।
कड़ी है चुनौती

बुआ-बबुआ (मायावती-अखिलेश) की यह चुनौती काफी कड़ी मानी जा रही है। गठबंधन की इस संभावना को लेकर भाजपा के खेमे में काफी परेशानी महसूस की जा रही है। भाजपा के उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का मानना है कि बसपा-सपा का गठबंधन चुनौती बनेगा। स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि यदि इस गठबंधन में कांग्रेस शामिल हो जाती तो लड़ाई काफी आसान रहती।

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री का तर्क है कि तब मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं होता। इससे भाजपा को काफी फायदा होता। अगड़ी जाति के वोटों में बंटवारा नहीं होता। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 की तरह संदेश जाता और भाजपा आसानी से अपने लक्ष्य को पा लेती। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का भी आकलन है कि सपा-बसपा के साथ रहने और कांग्रेस के अलग रहने पर भाजपा की मुश्किल तुलना में काफी बढ़ जाएगी।

वोट पर कौन भारी

2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को उत्तर प्रदेश में 19.60 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। सपा 22.20 प्रतिशत वोट पाई लेकिन पांच सीटें ही जीत सकी। सपा-बसपा का यह जोड़ 41.80 प्रतिशत वोट तक पहुंचता है। जबकि भाजपा, अपना दल मिलकर 42.30 प्रतिशत वोट लाए थे। बसपा राज्य में विधानसभा चुनाव में हुए मतदान के आधार पर दावा करती है कि उसके पास 21 प्रतिशत के करीब वोट हैं।

सपा के नेता इसे अब 26 प्रतिशत तक बताते हैं। दोनों का दावा है कि भाजपा को अबतक सबसे अधिक वोट 2014 के लोकसभा चुनाव में ही मिला है। उनका वोट प्रतिशत भाजपा से अधिक है। इस तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन 60 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है। भाजपा के नेता भी गठबंधन की घोषणा होने के बाद मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में लड़ाई आसान नहीं है।

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