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गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

मतदाता सूची में रजिस्टर्ड नहीं हैं 91% शहरी प्रवासी, रिसर्च में सामने आई जानकारी

मतदाता सूची में रजिस्टर्ड नहीं हैं 91% शहरी प्रवासी, रिसर्च में सामने आई जानकारी


वोटर लिस्ट (सांकेतिक)
वोटर लिस्ट (सांकेतिक)

खास बातें

  • 73 फीसदी लोग दूसरे शहरों में बसने के बाद नहीं जानते सूची में नाम जुड़वाना
  • 63 फीसदी मानते हैं, अन्य शहर में बस गए, इसलिए मतदान नहीं कर सकते 
देश में 91% ऐसे शहरी प्रवासी हैं, जो मतदाता सूची में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। ये लोग व्यापार, नौकरी, शिक्षा या शादी के बाद दूसरे शहरों में बस गए हैं। नेस्टअवे टेक्नोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि 73% लोग नहीं जानते कि दूसरे शहर में जाने के बाद उन्हें मतदाता सूची में नाम कैसे जुड़वाना है। जबकि  चुनाव आयोग,  सरकारें और कई गैर सरकारी संस्थाएं मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए देश भर में जागरूकता कार्यक्रम चला रही हैं। सोशल मीडिया के जरिए भी मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके बावजूद 75% लोग ही इस चुनाव में मतदान करना चाहते हैं, जबकि 63 प्रतिशत प्रवासी लोगों का मानना है कि वे अगर अन्य शहरों में जाकर रहते हैं तो मतदान नहीं कर सकते। 

एसबीआई के अध्ययन में भी कुछ ऐसी ही बात सामने आई है कि नौकरी, शिक्षा आदि के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करने वाले मतदाताओं की संख्या भी मतदान प्रतिशत को प्रभावित कर सकती है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यूपी, बिहार, ओडिशा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में मतदान दर में गिरावट मतदाताओं के राज्य छोड़ने से आई है।

क्यों नहीं ले रहे रुचि

दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और बेंगलूरू जैसे बड़े शहरों में हुए सर्वे के आधार पर नेस्टअवे के सह संस्थापक और सीईओ अमरेंद्र साहू के अनुसार, अगर आप अन्य राज्य में हैं और वहां की स्थानीय भाषा नहीं आती तो, मतदाता सूची में नाम जुड़वाना थकाने वाला काम है। हालांकि प्रशासन भी नए मतदाताओं का नाम जोड़ने में ज्यादा मदद कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए भारत को अमेरिका से सीखना चाहिए। अमेरिका में, यदि कोई विदेश में रहता है, तो वह आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से वोट डाल सकता है। 

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