Lok Sabha चुनाव 2019: क्या पैर छूने पर आसानी से तय होती है संसद की सीढ़ी? - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 27 अप्रैल 2019

Lok Sabha चुनाव 2019: क्या पैर छूने पर आसानी से तय होती है संसद की सीढ़ी?

Lok Sabha चुनाव 2019: क्या पैर छूने पर आसानी से तय होती है संसद की सीढ़ी?


संसद (फाइल फोटो)
संसद (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत पाने के बाद आडवाणी जी के पैर छुए थे। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में वह पूर्ण अभिवादन था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कब भाजपा के पितामह, मार्ग दर्शक मंडल के नेता लाल कृष्ण आडवाणी का पैर छुआ, आडवाणी के करीबी वरिष्ठ नेताओं को याद नहीं। चुनाव जीतने के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में जाने से पहले सीढियों को चूमा था। प्रधानमंत्री संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में जा रहे थे तो इटावा से सांसद अशोक दोहरे प्रधानमंत्री का पैर छूने आगे बढ़े। वह झुके और प्रधानमंत्री ने उन्हें रोक दिया। बताते हैं इसके बाद पार्टी में पैर छूने की प्रथा पर विराम लगा दिया, लेकिन शुक्रवार को नामांकन से पहले प्रधानमंत्री ने शिरोमणि अकाली दल के नेता, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह के पैर छुए। प्रधानमंत्री मोदी आगे बढ़े। उन्हें अन्नपूर्ण शुक्ला ने नामांकन का पर्चा दिया तो प्रधानमंत्री ने उनका भी पैर छुआ। इससे पहले प्रधानमंत्री कुंभ में स्नान करने गए थे। तब उन्होंने सफाई कर्मियों के पैर छुए थे। तमाम अवसरों पर उन्होंने ऐसा किया। राजनीतिक नेताओं के तो नहीं, लेकिन वरिष्ठ, वयोवृद्ध महिलाओं के कुछ अवसर पैर छुए। प्रधानमंत्री के नामांकन में बनारस में मौजूद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार पैर छूना भारतीय परंपरा में किसी के आदर, सत्कार और व्यक्ति के संस्कार का सूचक है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विनोद कुमार द्विवेदी कहते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन ऐसा केवल राजनीतिक उद्देश्य से नहीं होना चाहिए।

डिंपल ने भी छुए पैर

उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और वर्तमान सांसद डिंपल यादव ने मायावती के पैर छुए। मायावती उम्र में डिंपल से बड़ी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रही हैं, लेकिन डिंपल यादव की पैर छूने वाली तस्वीर, वीडियो सोशल मीडिया पर चल रही है। डिंपल के पैर छूने पर मायावती ने बुआ वाली खुद पदवी ले ली और डिंपल को अपनी बहू बताया। लेकिन डिंपल की यह तस्वीर खूब साझा की जा रही है। भाजपा के एक नेता ने पैर छूने को डिंपल का निजी व्यवहार बताकर नाम न छापने की शर्त पर कहा कि डिंपल की यह चुनाव लड़ने के लिए की गई नौटंकी है। सूत्र का कहना है कि भाजपा उ.प्र. में 2014 की तरह ही सीटें ला रही है। इसलिए समाजवादी पार्टी और बसपा के नेता अपनी सीट बचाने के लिए हर जुगत कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव ने भी इस पर आपत्ति जताई।

भारतीय परंपरा में क्यों छूते हैं पैर?

भारतीय परंपरा अपने से बड़े और श्रेष्ठ को आदर देती है। यह आदर देने का सबसे उत्तम विधान है। जहां बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। इसे सांस्कृतिक दृष्टि से उत्तम संस्कार का प्रतीक माना जाता है। यहां आम तौर पर देवी-देवताओं, माता-पिता, श्रेष्ठ परिजनों, गुरू, रिश्तेदार के पैर छूने की परंपरा शीश नवाने से जुड़ी है। 

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