Lok Sabha चुनाव 2019: इस बार महिलाएं जिसके साथ, सत्ता उसके हाथ

पलायन भी है अंतर की वजह
विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की पुरुषों की तुलना में अधिक वोटिंग की वजह आधी आबादी में जागरूकता बढ़ने के अलावा पुरुषों का पलायन भी हो सकता है। बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्यों के पुरुष काम के सिलसिले में महानगरों का रुख ज्यादा करते हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि शहरों में महिलाएं मतदान के प्रति ज्यादा जागरूक हुई हैं।
यूपी सहित दूसरे राज्यों में भी घट रहा है अंतर
कई ऐसे भी राज्य हैं जहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत हमेशा की तरह पुरुषों की तुलना में कम रहा। हालांकि बीते कुछ चुनावों में इन राज्यों में भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा है। मसलन उत्तर प्रदेश में आम तौर पर महिलाओं और पुरुषों के बीच मतदान का अंतर तीन से चार फीसदी रहता था। इस बार प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में यह अंतर घट कर क्रमश: 0.50 फीसदी और 0.41 फीसदी रह गया है। दूसरे राज्यों में भी मतदान का अंतर इसी अनुपात में घटा है।
राजस्थान में ‘दो का संयोग’
जयपुर। इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि राजस्थान में इस बार लोकसभा चुनाव में ‘दो का संयोग’ काफी चर्चा में है। यह दो का संयोग कोई जीत-हार का अंतर नहीं, बल्कि चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवारों की संख्या को लेकर है।
दो ओलंपियन (जयपुर ग्रामीण में)
जयपुर ग्रामीण सीट पर दो पूर्व ओलंपियन में टक्कर है। मौजूदा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ निशानेबाजी में रजत पदक जीत चुके हैं तो पूनिया तीन ओलंपिक में भाग ले चुकी हैं। पूनिया विधायक भी हैं।
दो सीएम के बेटे
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव जोधपुर और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ बारां सीट से उम्मीदवार हैं।
साधु संत मैदान में
भाजपा से सांसद सुमेधानंद सरस्वती फिर सीकर से मैदान में हैं तो अलवर से बाबा बालकनाथ हैं।
दो मौसेरे भाई (बीकानेर में)
बीकानेर में पूर्व आईएएस और मौजूदा सांसद अर्जुन राम मेघवाल के सामने मौसेरे भाई पूर्व आईपीएस अधिकारी मदन गोपाल मेघवाल हैं। मदन का पहला चुनाव है।