आखिर Uttar Pradesh के मंत्री Om Prakash राजभर क्यों लड़ लें BJP के टिकट पर?

राजभर अपनी तुलना अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल से कर रहे हैं। अपना दल को भाजपा ने समझौते के तहत तीन सीटें दे दी हैं। इनमें मिर्जापुर और राबटर्सगंज की सीट से अनुप्रिया की पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर मैदान में है, जबकि प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट से अपना दल के विधायक संगम लाल गुप्ता भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में है। इसी तरह से भाजपा ने डा. संजय निषाद की निषाद पार्टी से भी एक सीट पर समझौता किया है। समझौते में निषाद पार्टी ने भाजपा में अपना विलय कर लिया है।
संतकबीर नगर से डा. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को भाजपा के टिकट पर मैदान में उतारा है। राजभर का मानना है कि उनकी ताकत अपना दल और निषाद पार्टी की तुलना में काफी बड़ी है। उ.प्र. में राजभर समुदाय के लोग ठीकठाक मात्रा में हैं। कोहार, कुम्हार समेत अन्य जातियों के लोग राजभर की सुहेलदेव पार्टी से जुड़े हैं। ऐसे में राजभर की मांग पहले से ही कम से कम दो सीटों की रही है। इसके अलावा वह अपने उम्मीदवारों को अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़वाना चाहते हैं। ताकि भविष्य में भी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का रास्ता बने रहे।
पहले भी बोलते रहे हमला
ओम प्रकाश राजभर उ.प्र. सरकार में मंत्री रहने के बाद भी राज्य सरकार के खिलाफ बोलते रहे हैं। वह कई बार अलग होने की चेतावनी भी दे चुके हैं। ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि राजभर समाज और इससे जुड़ी जातियों जितनी हिस्सेदारी रखती हैं, उतना इन्हें सम्मान नहीं मिल पा रहा है। भर अन्य समाज पिछड़ी जातियों में आता है। इसके नेता ओम प्रकाश राजभर उ.प्र. से भाजपा से समझौते में कम से कम दो सीटों की उम्मीद कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी घोसी के अलावा एक और सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को मिलेगी। इतना ही नहीं पार्टी के प्रत्याशी अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि सूत्र बताते हैं कि डैमेज कंट्रोल की कोशिश अभी भी जारी है।