इस मतदान केंद्र पर नहीं पड़ा एक भी Vote, 2014 में आए थे केवल दो लोग
पोलिंग बूथ (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत के सुदूर दक्षिण में स्थित ग्रेट निकोबार द्वीप के शोमपेन हट में बने पोलिंग बूथ में एक भी वोट नहीं पड़ा। यहां अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की लोकसभा सीट पर मतदान के लिए 11 अप्रैल को पोलिंग बूथ बनाया गया था। इस क्षेत्र के घने जंगलों में पाषाण युग की जनजाति शोम्पेन निवास करती है। यह पोलिंग बूथ इंदिरा प्वाइंट से 20 किलोमीटर दूर सुदूर दक्षिण में स्थित है। यहां 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान शोम्पेन जनजाति के दो लोगों ने मतदान किया था। रिकॉर्ड के अनुसार पहली बार ग्रेट निकोबार की जनजाति ने 2014 में वोट डाला था।
जनजातियों को सिग्नल देने के लिए बांधे गए कपड़े
अंडमान और निकोबार के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईओ) केआर मीणा ने कहा, 'शोम्पेन हट में 66 और 22 मतदाताओं वाले दो बूथ हैं। हमारी पोलिंग पार्टी मुश्किल इलाके में मौजूद थी। हालांकि इस साल कोई वोट नहीं पड़ा।' उन्होंने बताया कि घने जंगलों में रहने वाले आदिवासी सप्ताह में या 15 दिन में राशन लेने के लिए शोम्पेन हट आते हैं।
मीणा ने आगे कहा, 'स्थानीय लोगों ने आदिवासियों को चुनाव के लिए बचे दिनों की संख्या का संकेत देने के लिए कपड़ों पर गांठें बांधी थीं। उन्होंने सांकेतिक भाषा और स्थानीय बोली के जरिए उन्हें सूचित किया था कि उनके यहां 11 अप्रैल को चुनाव होने हैं। लेकिन कोई नहीं आया। शायद स्थानीय लोगों द्वारा किया गया संचार प्रभावी नहीं था या हो सकता है कि वह खुद नहीं आना चाहते हों।'
जब मीणा से पूछा गया कि पोलिंग पार्टी मतदाओं को बुलाने के लिए घने जंगलों में क्यों नहीं गई तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में बताया। न्यायालय के आदेश के अनुसार आदिवासी समुदाय के सदस्य के अलावा कोई भी शख्स आदिवासी रिजर्व और बफर क्षेत्र के पांच किलोमीटर के आस-पास नहीं जा सकता है।
आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने भी यहां प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। उन्होंने कहा, 'यही वजह है कि आदिवासी जब हमसे संपर्क करते हैं तभी हम उनसे बात करते हैं। उनके नाम मतदाता सूची में शामिल हैं इसलिए हम उन्हें सुविधा देने के लिए तैयार हैं लेकिन हम उन्हें मजबूर नहीं कर सकते।'
जरावस और सेंटीनेलीस ने नहीं किया मतदान
2014 के लोकसभा चुनाव में शोम्पेन समुदाय के दो सदस्यों ने अपने मताधिकार का इस्तेमान किया था। वहीं जरावस और सेंटीनेलीस अंडमान द्वीप के ऐसे आदिवासी हैं जिन्होंने कभी मतदान नहीं किया है। घने जंगलों में रहने वाले इस आदिवासी समुदाय का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है।