लोकसभा चुनाव 2019: दो हैवीवेट उम्मीदवारों के बीच फंसी तिवारी की सीट
शीला दीक्षित, दिलीप पांडे, मनोज तिवारी (फाइल फोटो): भारत राजनीती
खास बातें
- कांग्रेस की शीला दीक्षित और आप के दिलीप पांडे मौजूदा सांसद मनोज को दे रहे कड़ी टक्कर
- दलितों और मुस्लिमों के 38.5 फीसदी वोट तय करेंगे प्रत्याशियों का भविष्य
राजधानी की हाईप्रोफाइल उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट को हैवीवेट नेताओं ने दिलचस्प बना दिया है। भाजपा-आप-कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे नेता ब्राह्मण और पूर्वांचली भी हैं। दो वर्तमान तो एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं। मौजूदा सांसद भाजपा के मनोज तिवारी की किस्मत दलित व मुस्लिम वोटों (38.5%) के बंटने पर टिकी है। अगर इनका वोट कांग्रेस की शीला दीक्षित और आप के दिलीप पांडे में से किसी एक पर एकजुट हुआ तो तिवारी की राह कठिन हो जाएगी। बहरहाल मुस्लिमों में जहां कांग्रेस का ज्यादा प्रभाव है, वहीं दलित और झुग्गी झोपड़ी के मतदाताओं में आप के पांडे का आकर्षण है। भारी भरकम उम्मीदवारों से मतदाता भी भ्रमित हैं। पूर्व सीएम शीला के प्रति सीलमपुर, मुस्तफाबाद में मुस्लिम बिरादरी का झुकाव है। हालांकि बाबरपुर, मुस्तफाबाद में यह बिरादरी आप और कांग्रेस के बीच बंटी हुई है। तिमारपुर और सीमापुरी की झुग्गियों में आप का प्रभाव है, मगर यहां कहीं-कहीं कांग्रेस की ओर भी झुकाव है। यहां की 10 विधानसभा सीटों में एक ही बिरादरी के मतदाता बंटे हुए हैं।
2014 में मोदी लहर में भोजपुरी गायक और अभिनेता मनोज तिवारी ने पूर्वांचली मतदाताओं के बूते कांग्रेस के कद्दावर नेता जय प्रकाश अग्रवाल को तीसरे नंबर धकेल दिया था। उन्हें ब्राह्मण, वैश्य, जाट, पंजाबी बिरादरी का भी खुलकर साथ मिला था। हालांकि इस बार चूंकि तीनों उम्मीदवार पूर्वांचल से ही हैं, ऐसे में पूर्वांचली मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तीनों युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। अब तिवारी के समक्ष मोदी का व्यक्तित्व और राष्ट्रवाद ही सहारा है।
पूर्वांचल के 25 से 28% वोटों पर जंग
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और आप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप पांडे तीनों इस सीट के 25 से 28 फीसदी पूर्वांचल के मतदाताओं को साधने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। बीते चुनाव में मनोज तिवारी को इनका खुलकर समर्थन मिला था। यही कारण है कि आप और कांग्रेस ने भी पूर्वांचल से जुड़े नेताओं को ही मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने जय प्रकाश अग्रवाल की जगह पूर्व सीएम दीक्षित पर भरोसा जताया है। वे खुद के कन्नौज से होने का प्रचार कर रही हैं। वहीं, आप उम्मीदवार खुद को गाजीपुर और तिवारी खुद को बनारसी बताने में लगे हुए हैं।